शिमला संसदीय सीट : कांग्रेस के दावेदारों की दिनों दिन बढ़ रही धड़कनें, मदन कश्यप, दयाल प्यारी और अमित नंदा की नींद उड़ी

सोलन। लोकसभा चुनावों की तिथि एक एक दिन करके नजदीक आती जा रही है। हिमाचल में विपक्ष और केंद्र में सत्ता में बैठी भाजपा ने अपने प्रत्याशियों को सरजमीन पर उतार दिया है लेकिन प्रदेश की सत्ताधारी कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रत्याशियों का ही नाम पता नहीं चल पाया है। ऐसे में अपर हिमाचल का शिमला संसदीय क्षेत्र हो या फिर मंडी संसदीय क्षेत्र हर जगह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।


शिमला लोकसभा सीट की बात करें तो यहां भाजपा ने पूर्व सांसद सुरेश कश्यप पर एक बार फिर विश्वास जताया है, लेकिन कांग्रेस के पास अभी प्रत्याशी नहीं है। वैसे कांग्रेस की ओर से आधा दर्जन प्रत्याशियों का पैनल हाई कमान को भेजा गया है।

इनमें शिमला निवासी अमित नंदा, सिरमौर के पच्छाद की दयाल प्यारी, सोलन के मदन कश्यप के नाम शामिल हैं, लेकिन बाद में इस सूची में कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी के भाई व शिमला संसदीय क्षेत्र से छह बार सांसद रहे स्व. केडी सुल्तानपुरी के बड़े पुत्र कमल सुल्तानपुरी का नाम भी जुड़ गया।

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हालांकि अब भाजपा के पूर्व सांसद प्रो. वीरेंद्र कश्यप के बारे में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। चर्चाएं हैं कि कांग्रेस के नेता वीरेंद्र कश्यप को अपने पाले में लाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं, लेकिन अभी इस बारे में किसी भी पक्ष से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।

उधर दयाल प्यारी और अमित नंदा भी अपने अपने स्तर पर कांग्रेस से सांसद का टिकट लेने के लिए प्रयास में जुटे हुए हैं। इस सूची में सोलन निवासी कांग्रेसी नेता व अधिवक्ता मदन कश्यप का नाम भी शामिल है। मदन कश्यप के समर्थक इस सीट के लिए पार्टी से उन्हें सबसे सशक्त उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं।

वर्ष 1990 से कांग्रेस से जुड़े मदन कश्यप की क्षेत्र में पकड़ को लेकर भी उनके समर्थक दावे कर रहे हैं। मदन वर्ष 1995 में जिला परिषद के चुनाव में सलोगड़ा वार्ड से मैदान में उतरे और सिर्फ 11 वोटों के मामूली अंतर से पराजित हो गए। इसके पांच साल बाद वे वर्ष 2000 में बसाल पंचायत के प्रधान पद पर विजयी रहे। वे पूरे पांच साल प्रधान पद पर रहे।

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इससे पहले वर्ष 2011 से लेकर 2013 तक वे स​ब डिविजन कसौली में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर रहे। इसके बाद जिला सब डिविजनल कोर्ट में बार एसोसिएशन पद पर 2015 तक रहे। फिर वे 2015 से 2017 तक बार एसोसिएशन सोलन के अध्यक्ष रहे। 2022 से 23 तक वे जिला अधिवक्ता संघ के प्रधान पद का चुनाव जीता। वर्तमान में वे जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं।

इसके अलावा उनकी कई सामाजिक संगठनों में भी भागेदारी है। मदन कश्यप के समर्थकों को यकीन है कि इस बार कांग्रेस हाई कमान उन्हें सांसद चुनाव में मैदान में उतारने की जल्दी ही घोषणा कर देगा।

उधर शिमला कुपवी निवासी अमित नंदा एचपीसीसी एससी डिपार्टमेंट के चेयरमैन हैं। उनका भी व्यापारी, कृषक वर्ग सामाजिक सरोकारों से जुड़े संगठनों से जुड़ाव है। उधर दयाल प्यारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने को लेकर काफी उत्साहित हैं। लेकिन अभी बात हाईकमान के पाले में है।

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इसलिए कोई भी दावेदार इस मसले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। यह अवश्य है कि कांग्रेस के हर दावेदार की धड़कनें ​टिकट के ऐलान होने में हो रही दिनों दिन की देरी से बढ़ी हुई हैं।

सूत्रों के अनुसार भाजपा से टिकट की दौड़ में किनारे किए गए प्रोफेसर वीरेंद्र कश्यप के ऊपर अब कांग्रेस के कुछ नेता डोरे डाल रहे हैं । वर्ष 2019 से पहले प्रोफेसर वीरेंद्र कश्यप दो बार भाजपा की ओर से शिमला संसदीय सीट पर चुनाव मैदान में उतरकर विजयी पताका फहरा चुके हैंं।

वर्ष 2019 में दो बार लगातार विजयी रहने के उपरांत भी उनका टिकट काट दिया गया था तथा मोदी लहर के चलते सुरेश कश्यप को भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया।


अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस प्रतिष्ठित सीट पर किस उम्मीदवार को मैदान में उतारती है।

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