कड़वी बात : आप ही तो बदले हैं बाकी सरकार तो जैसी की तैसी है तीरदा, फिर मैं नहीं था…कह कर जिम्मेदारी से भागना कैसा
तेजपाल नेगी
हल्द्वानी। अपने टीएसआर 2 भी अजीब तरह की बात करते हैं। त्रिवेंद्र सरकार के सराहनीय कार्यों की तो आगे बढ़ कर वाह वाही लूट रहे हैं और गलत कार्यों से अपना तुरंत यह कहते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं कि वह उनके कार्यकाल की बात नहीं है। इससे दो बातें साफ हो रही है कि यदि टीएसआर 1 भ्रष्टाचारी और नकारा थे तो अब सवाल किससे पूछा जाए। टीएसआर 1 तो अब मुख्यमंत्री रहे नहीं, आप उस समय मुख्यमंत्री थे नहीं, बचे हैं आपकी पार्टी का दिल्ली में बैठा हाईकमान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। क्या ये जिम्मेदारी उनके सिर मढ़ दी जाए। त्रिवेंद्र कांग्रेस के नहीं आपकी पार्टी के सीएम थे…इस तथ्य को न भूलें।
दूसरी बात मुख्यमंत्री आते और जाते रहेंगे प्रदेश को चलने के लिए सरकार होती है और आप उस सरकार के मुखिया है। ऐसे में टीएसआर—1 ही नहीं पूर्व की सरकारों के गलत कार्य भी आपको ही जिम्मेदारी के साथ सुधारने होंगे। ऐसे में आपकी पार्टी से प्रण्धानमंत्री बने अटल जी का संसद में दिया गया संबोधन सुनेंं, जब उन्होंने कहा था कि पूर्ववती सरकारों ने बहुत अच्छे प्रयास किए अब हमें भी पिछली गलतियों से सबक सीखते हुए देश को आगे बढ़ाना है।
सवाल यह भी है कि कुंभ मेले में कोरोना जांच में हुए घोटाले के वक्त क्या भाजपा सरकार नहीं थी। आप स्वयं सीएम बने तो टीएसआर 1 के सभी मंत्रियों को वापस लेकर आए, सभी अधिकारी जैसे के तैसे अपने पदों पर बैठे हैं। सौ दिन का आपका कार्यकाल पूरा हो चुका है अभी आपको और समय की आवश्यकता है क्या।
एक सवाल और यदि टीएसआर 1 के समय हुए भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी आपकी नहीं है तो अलग अलग जिलों में जो महाकुंभ से कोरोना जांच में हुए घोटाले से शायद कुछ छोटे घोटाले सामने आ रहे हैं। उनकी जिम्मेदारी तो आपको ही लेनी चाहिए। आपके तो सांसद की, विधानसभा उपाध्यक्ष की और और विधायकों की निधि से मिले धन से दोयम दर्जे के स्वास्थ्य उपकरण खरीद लिए गए इस समय तो आप ही सीएम हैं जनाब । कुमाऊं भर में जिंदगी का संचार करने वाले एसटीएच हल्द्वानी में स्थापित आक्सीजन प्लांट जिस भव्यता के साथ आपने विज्ञापित करते हुए जनता की सेवामें समर्पित किया था वह अब पूरी क्षमता के साथ काम ही नहीं कर पा रहा। इसकी जिम्मेदारी आप ले सकेंगे।
आप पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की बात करते हैं। उधमसिंह नगर के केलाखेड़ा के एक गांव में पानी में डूबे दो किशोरों को इसलिए नहीं बचाया जा सका कि पीएचसी केलाखेड़ा में उन्हें बचाने के लिए सुविधा नहीं थी मजबूरन उन्हें बाजपुर सीएचसी के लिए रेफर कर दिया गया और रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया। कौन होगा उन दो बच्चों इस तरह से हुई अकाल मौत का जिम्मेदार।
पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाएं देने के नाम पर आपने दावा किया था कि हर पीएचसी में आक्सीजन प्लांट लगाया जाएगा। वह दावा एसटीएच के प्लांट को देखकर तो पूरा होता दिखाई नहीं पड़ रहा। घोटाले तो आपके राज में भी खुल रहे हैं तो क्या उनकी जिम्मेदारी लेते हुए आपसे इस्तीफा मांगा जाए … नहीं ना…।
दरअसल आपके पूर्व सीएम की वजह से प्रदेश को जो नुकसान उठाना पड़ रहा है उसकी क्षतिपूर्ति आपको फ्रंट फुट पर आकर करनी चाहिए, उस वक्त मैं नही था जैसे जुमले आपको कमजोर राजनीतिज्ञ साबित करते हें। कृपया इनसे बचें।