उत्तराखंड… सचिव कुर्वे के लिखित जवाब से और भड़की मंत्री रेखा आर्या
देहरादून। खाद्य विभाग में तबादलों की वजह से खाद्य मंत्री रेखा आर्य और सचिव/आयुक्त सचिन कुर्वे के बीच उपजा विवाद और गहरा गया है। मंत्री ने तबादले निरस्त करने का आदेश देते हुए सचिव सचिव कुर्वे का जवाब तलब किया था। कुर्वे ने अपने जवाब में साफ किया कि तबादले निरस्त करने का अधिकार न तो मंत्री को है और न सचिव को। सभी तबादले, तबादला कानून के तहत किए गए हैं।
यदि इन्हें निरस्त किया गया तो विभाग में न्यायिक विवाद और अराजकता का माहौल पैदा होने की प्रबल संभावना है। सचिव के जवाब से खाद्य मंत्री का पारा चढ़ गया है। उन्होंने गोपनीय प्रविष्टि संबंधित मूल पत्रावली तलब कर ली है। मालूम हो कि 22 जून को खाद्य आयुक्त के स्तर से हुए छह डीएसओ के तबादलों पर नाराजगी जताते हुए खाद्य मंत्री ने उन्हें निरस्त करने के निर्देश दे दिए थे।
मंत्री का आरोप था कि सचिव को नैनीताल के डीएसओ को जबरन छुटटी पर भेजने के फैसले को निरस्त करने के निर्देश दिए थे, लेकिन उन्होंने निर्देश का पालन नहीं किया और मनमाने तरीके से छह और डीएसओ के तबादले कर दिए। इसे लेकर मंत्री रेखा आर्य ने सचिव का जवाब तलब किया था।
सूत्रों के अनुसार, सचिव ने गुरुवार शाम अपना जवाब मंत्री कार्यालय भेज दिया। पत्र में सचिव ने कहा है कि तबादले नियमानुसार ही किए गए हैं। जिस स्थायी समिति की संस्तुति पर तबादले किए गए हैं, उसका गठन सात अप्रैल 2018 को किया गया था। समूह ख के अफसरों के तबादले इसी समिति की सिफारिश पर होते हैं। सचिव के जवाब को मंत्री के आदेश की अवहेलना करार देते हुए आर्य ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने कहा, खाद्य आयुक्त ने तबादला कानून का उल्लंघन किया है। इसमें उनकी हठधर्मिता और निजी स्वार्थ भी झलक रहा है।
खाद्य सचिव सचिन कुर्वे ने इस मामले में खामोशी साधी हुई है। गुरुवार को मीडियाकर्मियों ने इस मामले में उनसे बात करने की कोशिश की तो उन्होंने टिप्पणी करने से परहेज किया। उन्होंने केवल यह कहा कि तबादला नियमानुसार ही किए गए हैं। मंत्री जी को अवगत कराया जा रहा है।
उधर रेखा आर्या ने कहा है कि धामी सरकार जनता की सरकार है। यहां किसी भी प्रकार का इंस्पेक्टर राज कायम नहीं होने दिया जाएगा। विभागीय मंत्री का दायित्व है कि यदि किसी फैसले में भ्रष्टाचार की बू आए तो ऐसे आदेशों को तत्काल निरस्त किया जाए। खाद्य आयुक्त ने न केवल अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के अधिकारों का हनन किया बल्कि विभागीय मंत्री की भी अवहेलना की है। आयुक्त के आचरण और पूरे प्रकरण से मुख्यमंत्री को भी अवगत करा दिया गया है।