डायट में आयोजित दो दिवसीय क्रियात्मक अनुसंधान कार्यशाला का समापन

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के संकायाध्यक्ष व विभागाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने कहा कि शिक्षकों को बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित कर गतिविधि आधारित शिक्षण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। प्रो मनराल ने कहा कि शिक्षकों को छात्रों तथा अभिभावकों का विश्वास अर्जन करने की आवश्यकता है, तभी हम समस्या का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने स्थानीय स्तर पर शिक्षा के संवर्धन हेतु वातावरण सृजन पर जोर दिया।

यह बात बुधवार को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में नई शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित दो दिवसीय क्रियात्मक शोध कार्यशाला के समापन अवसर पर कही। वहीं शिक्षा संकाय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संगीता पवार ने कहा कि राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में क्रियात्मक शोध व्यापक समझ के साथ संपादित किया जा रहा है। डॉ पवार ने क्रियात्मक शोध की विभिन्न विधाओं की जानकारी शिक्षकों को दी। डाइट के प्राचार्य गोपाल गिरी गोस्वामी ने कहा कि क्रियात्मक शोध के माध्यम से कक्षा के ज्ञान को बाहरी ज्ञान से जोड़ा जा सकता है।

वर्तमान समय में शिक्षकों को नामांकन व गुणवत्ता के लिए मनोयोग से कार्य करने की आवश्यकता है। जिला संसाधन एकक विभाग के विभागाध्यक्ष गोपाल सिंह गैड़ज्ञ ने कहा कि शिक्षकों को अपने कार्य क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं इन समस्याओं के लिए वे समुदाय का सहयोग प्राप्त कर सकते हैं। गैड़ा ने कहा कि शिक्षक समाज की रीढ़ हैं और नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की पूर्ण जिम्मेदारी शिक्षकों की है। कार्यक्रम के मुख्य संदर्भदाता सरिता पांडे ने कहा कि तात्कालिक समस्याओं के समाधान के लिए क्रियात्मक शोध आवश्यक है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण के आधार पर कक्षा 3,5,8 में न्यून संप्राप्ति वाले संबोधांे पर शिक्षकों द्वारा क्रियात्मक शोध किया जा रहा है।

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डाइट प्रवक्ता डॉ दीपा जलाल ने शिक्षकों का आह्वान किया गया कि वे शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए दृढ़ संकल्प होकर आगे आए। कार्यशाला में सोबन सिंह जीना विवि के शोधार्थी प्रकाश चंद्र भट्ट, ललित मोहन पांडे, डॉ पीसी पंत, एमएस भंडारी, डॉ दीपा जलाल, दीपक पांडे, महेश चंद्र, गणेश दत्त बुधानी, दीपा बिष्ट, संगीता मेहरा, शिवराज सिंह खनी, ममता, लक्ष्मण सिंह, हयात सिंह गैड़ा, गौरव यादव, विजयलक्ष्मी, प्रतिभा, दीक्षा, दिव्या तिवारी, हरि सिंह, चंपा मेहरा, रंजना, विजय कुमार, आदि शिक्षकों के द्वारा क्रियात्मक शोध पर अपना शोध पत्र का प्रस्तुतीकरण किया। एक्शन रिसर्च कार्यशाला में 11 विकासखंड के 72 शिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। समापन कार्यक्रम का संचालन जीएस गैड़ा तथा डां सरिता पांडे द्वारा किया गया।

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