प्रदेश में बढ़ती जंगलों की आग की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस नीति बनाई जाए- बिट्टू कर्नाटक

एस एस कपकोटी

अल्मोड़ा- गर्मी बढ़ाने के साथ ही प्रदेश में लगातार बढ़ रही वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस नीति की मांग करते हुए पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने जिला अधिकारी के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर जंगलों की आग से बचाव के लिए ठोस रणनीति बनाने की मांग की।

ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि राज्य के जंगलों में लग रही आग से निपटने के लिये चीड़ आच्छादित वनों के लिये ठोस रणनीति बनाये जाने,वन विभाग को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराये जाने तथा प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति जाने की आज नितान्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में जंगल भीषण आग की चपेट में आने से बुरी तरह जल रहे हैं जिसमें अनेकों लोग जिंदा जल चुके हैं तथा कई लोग झुलस जाने से गम्भीर रूप से घायल हो रहे हैं।इसका मुख्य कारण वन विभाग के पास संसाधनों का अभाव तथा अप्रशिक्षित कर्मचारी होना एवं फायर सीजन से पूर्व जंगल में आग लगने के बचाव के लिये कोई कार्यवाही अमल में न लाना है।

जंगलों के जलने से हो रही जनहानि तथा वन सम्पदा को नष्ट होने से बचाने के लिये श्री कर्नाटक ने अपने सुझाव मा.मुख्यमंत्री को इस अनुरोध के साथ प्रेषित किये कि इन सुझावों पर वे गम्भीर मंथन करते हुये राज्य हित में इन्हें लागू करवाने की कार्यवाही तत्काल करने का कष्ट करेंगे । उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में पर्वतीय क्षेत्र के वनों के समीप रहने वाले ग्रामवासियों को वन बन्दोबस्त के समय से ही वनों से इमारती लकडी,जलौनी लकडी,कृषि यंत्रों हेतु लकडी,चराई,शाखकर्तन व खदान के हक हकूक स्वीकृत किये गये थे।अतः राज्य वासियों को अनेकों क्षेत्रों में उनका हक हकूक पूर्व की भांति दिया जाना अत्यन्त आवश्यक है ताकि ग्रामीणों का लगाव अपने क्षेत्र के जंगलों के प्रति हो सके।इससे वनाग्नि जैसी घटनाओं को रोकने में भी मदद मिलेगी।

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चीड़ आच्छादित वन क्षेत्रों में जगह-जगह जल श्रोतों के निकट चाल-खाल का निर्माण पूर्व की भांति करवाना अत्यन्त आवश्यक है।जंगलों में खाइयों की छोटी-छोटी सफाई के रूप में फायरब्रेक बनाकर आग को फैलने से रोका जा सकता है साथ ही चाल-खाल तथा पोखर बनाने से वनों में नमी रहेगी जिससे वन्यजीवों को पानी भी मिल सकेगा तथा वनाग्नि के सीजन में भी जल संचयों के संसाधनों को राहत मिल सकेगी।राज्य के वनों में पूर्व की भांति खाल-खन्ती एवं नालियों का निर्माण अत्यन्त आवश्यक है खाल खन्ती से वनों में बरसाती पानी से नमी बनी रहेगी तथा नालियों से आग को रोकने में काफी मदद मिलेगी।

कर्नाटक ने यह भी मांग की कि राज्य में चौडी पत्ती की प्रजातियों के वृक्षों के कटान पर सख्त पाबंदी लगायी जाय और अधिक से अधिक चौडी पत्ती के पेडों को धरातली स्तर पर लगाया जाय।चीड़ की पत्तियों (पिरूल) को जंगल से हटाते हुये इसका उपयोग वृहद अभियान चलाकर बडे रोजगार के अवसर के रूप में राज्य में उद्योग स्थापित कर पिरूल / चीड़ वृक्ष से बायोफ्यूल,कोयला, बिजली, ब्रिकेट, फाइल कवर,कार्ड-बोर्ड,साज-सज्जा की सामग्री,पेन्ट,भवन निर्माण में उपयोग करना अत्यन्त आवश्यक है ताकि फायर सीजन से पूर्व ही जंगल चीड़ की पत्ती (पिरूल) से मुक्त हो सके और स्थानीय लोग इस रोजगार को अपनी आजिविका के रूप में अपना सकें।फायर सीजन में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों / श्रमिकों को वनाग्नि से निपटने के लिये विशेष प्रशिक्षण दिलाया जाना अत्यन्त आवश्यक है तथा वन विभाग में रिक्त पदों को तत्काल भरा जाना अत्यन्त आवश्यक है साथ ही श्रमिक से लेकर रेंजर तक रेंज में पूर्णकालिक कर्मचारी व अधिकारियों की नियुक्ति करना अत्यन्त आवश्यक है

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सभी फायर कर्मचारियों के लिये फायर सीजन से पूर्व ही समस्त अग्निरोधी परिधान अग्निशमन उपकरणों की व्यवस्था किया जाना तथा प्रत्येक रेंज में दो से अधिक अग्निशमन वाहन पूरे उपकरणों सहित तैनात किया जाय जिससे आग लगते ही उस पर नियंत्रण किया जा सके।वन विभाग में पर्याप्त सचल दल (रेंजवार) वाहनों की व्यवस्था की जानी अत्यन्त आवश्यक है।वनों में आग लगाने वाले तत्वों से निपटने के लिये पुलिस विभाग की तर्ज पर सूचना तंत्र को मजबूत करते हुये उन पर कठोर दण्डात्मक (सजा का प्रावधान) कार्यवाही किये जाने का नियम बनाना भी अति आवश्यक है ।

वनों के निरीक्षण हेतु राज्य की फारेस्ट टीम के लिये जंगलों की निगरानी हेतु ड्रोन एवं सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से की जानी चाहिये जिससे विभाग अपने घने जंगलों का निरीक्षण आसानी से कर सकें।अग्नि नियंत्रक कर्मी का पच्चीस लाख रूपये का बीमा और फायर वाचर का पारिश्रमिक न्यूनतम रू. 25000 से 35000/- के आधार पर तय किया जाय ताकि फायर वाचर जो कि सीजनल होते हैं उनका विभाग में कार्य करने का मनोबल बना रहे। उन्होंने मा.मुख्यमंत्री जी से मांग की कि राज्य हित में उनके उपरोक्त सुझावों पर अमल करते हुये बिन्सर (अल्मोडा) में हुये विभत्स अग्निकांड में शहीद हुये वन कर्मिकों एवं पी.आर.डी.के जवान के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी के साथ पच्चीस लाख रूपये का मुआवजा दिया जाना अत्यन्त आवश्यक है साथ ही यह भी प्रयास किया जाय कि वनों में लगी आग को तत्काल काबू करने के लिये राज्य सरकार जिलेवार हैलिकॉप्टर की भी व्यवस्था सुनिश्चित करें जिससे आग पर त्वरित काबू किया जा सके।

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ज्ञापन देने वालों में पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक के साथ देवेन्द्र कर्नाटक,हयात सिंह बिष्ट, रमेश चंद्र जोशी,नूर अकरम खान,साहबुद्दीन,गोपाल खोलिया,दीपक पोखरिया,रोहित शैली, राकेश बिष्ट,अशोक सिंह,बीरेंद्र सिंह कार्की,हेम जोशी,भूपेंद्र भोज,हिमांशु कनवाल,हसन,मनोज कुमार,दिनेश कुमार,दीपक सिंह बिष्ट,ललित सिंह खोलिया,कृष्णा सिंह चिलवाल,भगवत आर्या,दीपक सिंह,विनोद कुमार,दीपा जोशी,सूरज सिंह बिष्ट,हर्षिता नेगी, रश्मि काण्डपाल,चन्द्र शेखर,प्रमेन्द्र बिष्ट,दिनेश सिंह,अर्जुन सिंह,रमेश आर्या,प्रकाश बिष्ट,गौरव सिंह,अनिल जोशी,जिशान,फैजान,आरिश,प्रियांशु कनवाल,निकेश कनवाल, राहुल कनवाल, भास्कर बिष्ट,सागर आर्या,यश कुमार,कमल बिष्ट सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।

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