अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर लक्ष्मी देवी टम्टा सेंटर फॉर वूमन स्टडी सेंटर की ओर से ऑनलाइन मोड में हुईं सेमिनार

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के परिसर निदेशक प्रो प्रवीण बिष्ट ने कहा कि बालिका जब सुरक्षित रहेगी तभी देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

बालिका पढ़ेगी तो समाज आगे बढ़ेगा। एक शिक्षित महिला ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर ठोस निर्णय ले सकती है। अगर महिलाओं को आगे बढ़ना है तो शिक्षा सबसे सक्षम माध्यम है।

यह बात बुधवार को एसएसजे विवि के शिक्षा संकाय में स्थित लक्ष्मी देवी टम्टा सेंटर फॉर वूमन स्टडी सेंटर की ओर से अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर एक दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए परिसर निदेशक प्रो प्रवीण बिष्ट ने कही। इससे पहले शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष व डीन प्रो भीमा मनराल ने सेमिनार का शुभारंभ करते हुए आनलाईन मोड में जुड़े देश के अन्य विवि के अतिथि व्याख्याताओं का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से ग्रामसभा, पंचायतों में महिला आरक्षण देकर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर प्रयास किए गए है। कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने विधानसभा और राज्य सभा में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून बनाया है।

वहीं, एसएसजे विवि के शिक्षा संकाय की पूर्व विभागाध्यक्ष रहीं प्रो विजयारानी ढ़ौडियाल ने महिला शिक्षा के विविध आयामों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं की समाज के हर क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के लिए जागरूकता और अपने अधिकारों की सही समझ होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा संकाय में स्थित वूमन सेंटर शैक्षिक, सामाजिक, जनजागरूकता संबंधी प्रत्येक गतिविधियों में लगे हुए हैं। शिक्षा संकाय में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करता रहेगा।

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सेंटर फॉर वूमेन स्टडी सेंटर यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद की निदेशक प्रो आराधना अग्रवाल ने महिलाओं के सशक्तिकरण में इतिहास के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने नैरोबी, कोपनहेगन, सलमानका आदि सम्मेलनों में महिलाओं के विकास के लिए किए गए कामों को उल्लेखित किया। कहा कि आज भी 65 प्रतिशत महिलाएं की शिक्षित है। जबकि तमाम अध्ययनों में सामने आया है कि 45 प्रतिशत महिलाएं शिक्षा लेने से वंचित रह गई है। वनस्थली विद्यापीठ की डाॅ अपर्णा ने महिला शिक्षा पर सामाजिक सांस्कृतिक प्रभावों पर अपना व्याख्यान दिया।

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उन्होंने कहा कि जेंडर इक्वलिटी को लेकर एसडीजी पाईव में महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। कहा कि वर्तमान में भारतीय समाज पुरुष सत्तात्मक सोच वाला है, जिसमें पुरुष प्रभावित करता है और महिला हमेशा से ही प्रभावित रहती है। जम्मू विवि की डाॅ रितु बख्शी और चढ़ीगड़ विवि के डिपार्टमेंट आ ऑफ लाॅ की डाॅ अमृतापाल कौर ने समाज सुधार में महिला आंदोलनों की भूमिका पर व्याख्यान दिया। उन्होंने राजा राममोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर एवं लार्ड विलियम बेंटिक के समाज सुधार एवं महिला शिक्षा पर दिए गए योगदान को उल्लेखित किया।

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इसके अलावा अतिथि व्याख्याताओं ने सबला योजना, उज्ज्वला योजना, वन स्टाॅप सेंटर, स्वाधार योजना, सुकन्या और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर 40 से अधिक शोध पत्रों का वाचन किया गया। ऑनलाइन सेमिनार में जम्मू, हिमांचल, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्रा और बिहार विश्वविद्यालयों के वूमन स्टेडी सेंटर एवं शिक्षाविद् ने शिरकत की।

कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मी देवी टम्टा सेंटर फॉर वूमन स्टडी सेंटर की संयोजिका व एसएसजे विवि के शिक्षा संकाय सहायक प्राध्यापक डाॅ संगीता पवार ने किया।

इस मौके पर डाॅ रिजवाना सिद्दिकी, डाॅ देवेंद्र सिंह बिष्ट, डॉ नीलम, डाॅ भास्कर चैधरी, डॉ ममता असवाल, डॉ मनोज कुमार आर्या, डाॅ पूजा प्रकाश, अंकिता, ललिता रावल, डॉ ममता काण्डपाल,सरोज जोशी, डॉ देवेंद्र चम्याल, गौहर फातिमा, मंजरी तिवारी, मनीषा पांडेय आदि शोधार्थी व विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के प्राध्यापक जुड़े।

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