हल्द्वानी… युवा : लोहाघाट के भागीरथी इंस्टीट्यूट और बुंगाछीना के पिथौरागढ़ इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की नई शानदार पहल ‘पे आफ्टर प्लेसमेंट’

हल्द्वानी। चंपावत के लोहाघाट स्थित भागीरथी इंस्टीट्यूट और और पिथौरागढ़ के बुंगाछीना स्थित पिथौरागढ़ इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के प्रबंधन ने अपने संस्थानों में कमजोर आर्थिकी वाले विद्यार्थियों के लिए ‘पे आफ्टर प्लेसमेंट’ योजना शुरू की है।

इस योजना में शामिल विद्यार्थियों से पढ़ाई के दौरान कोई फीस के नाम पर कोई भी धनराशि नहीं ली जाएगी। अलबत्ता नौकरी लगने के बाद विद्यार्थी वेतन के तीस प्रतिशत की आसान मासिक किश्तों के माध्यम से अपनी फीस संस्थान को चुका सकता है। प्रबंधन ने अब अपने विद्यार्थियों के लिए इन हाउस प्लेसमेंट के लिए भी वृहद योजना तैयार की है। प्रबंधन का कहना है कि पढ़ाई के बाद यदि विद्यार्थी की नौकरी नहीं लगती है तो प्रबंधन उस पर फीस जमा करने के लिए नौकरी लगने तक कोई दवाब नहीं डालेगा।


यहां मुखानी स्थित एक रेस्टोरेंट में अब से कुछ देर पहले आयोजित पत्रकारवार्ता में संस्थानों की संचालिका दिव्या गुप्ता ने बताया कि उनके दोनों ही संस्थानों में यह स्कीम लागू रहेगी। जिन कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या पूरी हो चुकी है वहां स्कीम लागू नहीं होगी।
भागीरथी इंस्टीट्यूट पॉलीटेक्निक लोहाघाट जो पीसीआई एवं एआईसीटीई नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त है, संस्थान द्वारा सिविल इंजीनियरिंग,मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पॉलीटेक्निक डिप्लोमा एवं फामेंसी में डिप्लोमा कोर्स कराये जाते हैं।

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इंजीनिरिंग डिप्लोमा के लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं उत्तीर्ण एवं डिप्लोमा इन फार्मेसी के लिये न्यूनतम योग्यता विज्ञान विषयों के साथ 12 वी उत्तीर्ण।
उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा पाने हेतु महंगी फीस एवं जॉब एश्योरेंस में कमी को देखते हुए भागीरथी इंस्टीट्यूट एवं पिथौरागढ़ इंस्टीट्यूट ने एक अनूठी पहल शुरू की है। जिसका नाम पे अफ्टर प्लेसमेंट नाम दिया गया है। यानी पहले शिक्षा लें, नौकरी लें और फिर अपनी फीस आसान किश्तों में संस्थान को जमा कराएं।

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उन्होंने बताया कि पिथौरागढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैंनेजमेन्ट में बीएचएम, बीबीए, बीसीए, बीएससी आईटी, बीएससी एग्रीकल्चर, एमबीए और एमसीए के कोर्स कराए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि पढ़ाई के इच्छुक कोई भी विद्यार्थी धन की कमी के कारण पढ़ाई न छोड़े इसी विचार को लेकर यह योजना शुरू की गई है और उन्हें विश्वास है कि ऐसा कोई भी युवा नहीं होगा जो पढ़ाई और जॉब लगने के बाद संस्थान के साथ धोखाधड़ी करेगा। उन्होंने कहा कि सक्षम अभिभावक अपने बच्चों की फीस जमा करवा कर इस योजना को फलने फूलने में अपना सहयोग देंगे।

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उन्होंने बताया कि आने वाले तीन वर्षों में उनकी संपूर्ण उत्तराखंड में दस से ज्यादा कोचिंग इंस्टीट्यूट्स खोलने की तैयारी है। जिनमें उनके यहां से पढ़कर पास आउट छात्रों को रोजगार भी दिया जाएगा।

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