टिहरी… #प्रगति : एसडीआरएफ टीम ने टिहरी झील में फ्लोटिंग रेस्क्यू स्टेशन पर स्पीड रेस्क्यू मोटर बोट का किया डेमोस्ट्रेशन
टिहरी। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की उपस्थिति में एसडीआरएफ फ्लड रेस्क्यू टीम ने एसडीआरएफ पोस्ट कोटि कॉलनी टिहरी झील में राज्य के प्रथम फ्लोटिंग रेस्क्यू स्टेशन पर स्पीड रेस्क्यू मोटर बोट और दो रेस्क्यू मोटर बोट का डेमोंस्ट्रेशन प्रस्तुत किया।
डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि उत्तराखंड आपदा के लिहाज से अति संवेदनशील है। प्रदेशवासियों को प्राकृतिक एवं मानवजनित आपदाओं की विभीषिका का सामना करना पड़ता है। आपदाओं से निपटने के लिए एसडीआरएफ को सशक्त करना नितांत आवश्यक है।
विदित हो कि डीजीपी ने टिहरी झील में न केवल एक फ्लोटिंग रेस्क्यू स्टेशन, बल्कि आपदा एवं राहत कार्यों को गति देने के लिए 115 हार्सपावर की दो रेस्क्यू मोटर बोट व 150 हार्सपावर की स्पीड रेस्क्यू मोटर बोट के माध्यम से एसडीआरएफ की क्षमता को बढ़ाया।
यह फ्लोटिंग रेस्क्यू स्टेशन चलायमान है, इसे झील में कहीं भी ले जाया जा सकता है। यह 50 व्यक्तियों के लिये स्टेशन है। किसी भी बड़ी घटना होने पर घायलों को स्पीड रेस्क्यू मोटर बोट से तुरंत रेस्क्यू कर इस फ्लोटिंग स्टेशन पर लाया जा सकता है। जहां पर अस्पताल तक ले जाने से पूर्व फर्स्ट एड दिया जा सके।
पहली बार किसी भी राज्य के आपदा मोचन बल को रेस्क्यू के लिए पूर्ण फ्लोटिंग रेस्क्यू स्टेशन मय स्पीड रेस्क्यू मोटर बोट व रेस्क्यू मोटर बोट प्रदान किया गया हो। स्पीड रेस्क्यू मोटर बोट त्वरित बचाव कार्यों के उद्देश्य के लिए विशिष्ट है। यह पॉलीइथाइलीन से निर्मित दोहरी दीवार वाली मज़बूत और जंग हीन नाव है।
स्पीड रेस्क्यू मोटर बोट की प्रमाणित क्षमता न्यूनतम 12 व्यक्ति या अधिक है। त्वरित बचाव कार्य करते समय पानी में किसी व्यक्ति को पकड़ने के लिए चारों ओर 16 मिमी लाइफलाइन प्रदान की गई है।
वर्ष 2014 में एसडीआरएफ के गठन के बाद एसडीआरएफ द्वारा राज्य भर में आपदा संवेदनशील स्थानों पर व्यवस्थापित रहते हुए महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया जाता रहा है। किसी भी प्रकार की आपदा चाहे वो जमीनी हो या पानी से सम्बंधित एसडीआरएफ ने प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ चढ़कर रेस्क्यू कार्य किये हैं।
एसडीआरएफ के गठन के बाद नदियों के किनारे होने वाली दुर्घटनाओं में अनेकों वॉटर रेस्क्यू कर कई लोगों के जीवन की रक्षा की है। कई शव बरामद कर उनके परिजनों के सुपर्द किये हैं। वॉटर रेस्क्यू की अप्रत्याशित वृद्धि के दृष्टिगत जल्द ही एक वाटर रेस्क्यू विशेषज्ञ कंपनी का गठन भी किया जाना प्रस्तावित है। अत्याधुनिक उपकरण जैसे सोनार सिस्टम, अंडरवाटर ड्रोन, रेस्ट ट्यूब,मोटरबोट, राफ्ट , डीप डाइविंग इक्विपमेंट्स इत्यादि के साथ एसडीआरएफ डीप डाइविंग टीम ऋषिकेश,टिहरी व नैनीताल में तैनात है।
वर्ष 2017 में पटना में एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर गंगा नदी में डूब गया था। बिहार प्रशासन द्वारा एसडीआरएफ, उत्तराखण्ड पुलिस से सहायता मांगी गई थी। उक्त घटना में एसडीआरएफ द्वारा पटना में सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। इसके साथ ही हरियाणा व उत्तरप्रदेश में भी एसडीआरएफ द्वारा वाटर रेस्क्यू संबंधी महत्वपूर्ण कार्य किये गए है।
वर्ष 2019 में आंध्रप्रदेश में 72 नौका सवार लोगों के गोदावरी नदी में डूब जाने पर एसडीआरएफ द्वारा अत्याधुनिक खोजी उपकरण सोनार एवं अंडर वाटर ड्रोन के माध्यम से सर्च एंड रेस्क्यू अभियान चलाकर न केवल लापता शवों को बरामद किया गया बल्कि नदी के गहराई में डूबी नौका का सटीक लोकेशन भी पता किया गया। एसडीआरएफ द्वारा किये गए वॉटर रेस्क्यू कम समय में हासिल की गई कार्यकुशलता व कार्यदक्षता का एक उदाहरण मात्र है। ऐसे की कई कार्य किए हैं।
एसडीआरएफ की रेस्क्यू क्षमता को इस फ्लोटिंग रेस्क्यू स्टेशन व स्पीड मोटर बोट से बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
किसी भी प्रकार की दुर्घटना से निपटने के लिए अपनी तैयारी बढाई है। पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड,श्री अशोक कुमार का सदैव ही यह प्रयास रहता है कि पुलिस अपनी कार्य दक्षता में वृद्धि के साथ साथ आम जनमानस के हित कलिये भी प्रयासरत रहे।
उनकी इसी नेक नियति के फलस्वरूप आज फ्लोटिंग रेस्क्यू स्टेशन से एसडीआरएफ की कार्यक्षमता में वृद्धि के साथ साथ टिहरी झील क्षेत्रान्तर्गत बसे लोगो की सुरक्षा की ओर एक अहम कदम बढ़ाया गया है। इस कार्यक्रम में एसएसपी टिहरी तृप्ति भट्ट, सेनानायक नवनीत सिंह, उप सेनानायक अजय भट्ट, सहायक सेनानायक अनिल शर्मा, शिविरपाल राजीव रावत आदि उपस्थित रहे।
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