हैरानी : रिटायर प्रोफेसर ने सजाई स्वयं अपनी अर्थी, जानें क्यों

हल्द्वानी। हल्द्वानी में एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने जीते जी अपनी अर्थी सजा कर हल्द्वानीवासियों को पर्यावरण रक्षा के लिए बिजली के शवदाह गृह उपयोग करने का अनोखे अंदाज में संदेश दिया।

एमबीपीजी महाविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर संतोष मिश्रा ने जिंदा ही अपनी अर्थी सजा ली। यहीं नहीं उन्होंने बाकायदा इस अर्थी पर लेटकर लोगों को जागरूक किया। संतोष मिश्रा सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं।

देहदान,अंगदान, नेत्रदान साहित्य पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी अपनी भूमिका निभाते हुए लोगों को जागरूक करने का समय-समय पर काम किया है। इस बार पूर्व प्रोफेसर संतोष मिश्रा जिंदा ही अपनी अर्थी सजाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया है।

यह भी पढ़ें 👉  गैंगरेप पीड़िता ने दी चेतावनी, इंसाफ नहीं मिला तो दे दूंगी जान


संतोष मिश्रा बाकायदा बांस की लकड़ी और बाजार से कफन के कपड़े लेकर अपने घर आये जहां घर के बाहर उन्होंने जिंदा ही अपनी अर्थी सजा ली।


इस दौरान संतोष मिश्रा ने कहा कि अर्थी पर लेटकर लोगों को जलवायु और पर्यावरण रोकने की गुहार लगाई है।
हल्द्वानी नगर निगम द्वारा आम जनमानस की वर्षों की मांग पर रानीबाग में करोड़ों की लागत से विद्युत शवदाह गृह बनाया गया है लेकिन लोग अपने परिजनों की अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह मर नहीं कर लकड़ी के माध्यम से नदी के किनारे कर रहे हैं जिसके चलते जलवायु और पर्यावरण हो रही है।

नगर निगम के द्वारा विद्युत शव दाह में संस्कार निःशुल्क करने के बावजूद लोग इसे अपनाने में हिचक रहे हैं। जबकि शहरों की बढ़ती आबादी और घटते जंगल इस बात के लिए आगाह कर रहे हैं कि हमें परम्परागत साधनों के साथ बिजली और गैस आधारित शवदाह गृहों को अपनाने की आवश्यकता है।

यह भी पढ़ें 👉  ब्रेकिंग न्यूज : लारेंस बिश्नोई गैंग ने मांगी यूट्यूबर सौरव जोशी से दो करोड़ की फिरौती!, रकम न देने और पुलिस को बताने पर जान से मारने की धमकी

राजधानी दिल्ली सहित देश के सभी बड़े शहरों में वर्षों से इन्हें अन्तिम संस्कार के लिए लोग प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन रानी बाग स्थित विद्युत शव दाह में केवल लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। जबकि आम आदमी अपने परिजनों का अंतिम संस्कार लकड़ी से कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें 👉  हिमाचल न्यूज : कांग्रेस सरकार के दो साल पूरे होने पर मुख्य समारोह होगा बिलासपुर में, 25 हजार लोग करेंगे हिस्सेदारी


संतोष मिश्रा ने इस अनोखे प्रयोग के माध्यम से लोगों से अपील की है कि शवो की अंतिम संस्कार लकड़ी के बजाय विद्युत संचालित शव दाह गृह में करें जिससे कि पर्यावरण को बचाया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *