हल्द्वानी… भीमताल का बबियाड़ (बिरसिंग्या) गांव के लड़के रहेंगे कुंवारे, कोई नहीं देना चाहता अपनी बेटी
हल्द्वानी (धारी)। बग्डवार से करीब पांच किलोमीटर ऊपर एक गांव है बिरसिंग्या, यहां के लोग सड़क का इंतजार करते—करते गांव खाली कर चुके हैं और अब यहां इतने घर बचे हैं जिन्हें हाथ की उंगलियों में ही गिना जा सके।
इस दौर में भी सड़क का न होना और हर जरूरी काम के लिए पांच किलोमीटर की चढ़ाई और उतराई तय करना किसी दुर्भाग्य से कम नहीं। हालात ऐसे हैं कि इतना पैदल चलना पड़ता है यह सोचकर यहां लोग अपनी बेटी ब्याहने से भी हिचकते हैं। सबसे अधिक आश्चर्य इस बात का है कि जिस जगह को हम एक छोटे से टूरिस्ट विलेज के तौर पर विकसित कर सकते थे वहां की जमीन बंजर होने लगी है।
वरना यहां से दिखती हिमालय की सुंदर छटा किसी भी पर्यटक स्थल से कम नहीं है। इस गांव की सड़क बनने में जो भी समस्या आ रही है उसे जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने शांति से बैठकर सुलझाना ही नहीं चाहा।
संबंधित विभाग ने थोड़ी तत्परता दिखाई होती तो यह गांव आज अभिशाप न बनाता। नहीं तो कभी साग सब्जी के लिए मशहूर रहा यह गांव बस चंद लोगों की यादों का हिस्सा बनकर रह जाएगा।