लो कल्लो बात ! इस थाने के दरोगा जी ने मुकदमे में दर्ज कर लिए छह साल पहले मरे व्यक्ति के बयान, हो गया सस्पेशन, जांच शुरू
कुमारगंज (अयोध्या)। खण्डासा थाने में तैनात रहे एक दरोगा द्वारा मुकदमे की विवेचना में सतही विवेचना करते हुए लापरवाही करना महंगा पड़ गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरण नैयर ने मामले का संज्ञान लेते हुए लापरवाही के आरोपी दरोगा उपनिरीक्षक राहुल पांडे को निलंबित कर दिया है।
बताते चलें कि खण्डासा थाना क्षेत्र के इछोई गांव निवासी अधिवक्ता पवन पाण्डेय ने 2 जुलाई 2019 को खण्डासा पुलिस को तहरीर देकर आरोप लगाया था कि इच्छोई पूरे रजऊ मिश्र गांव निवासी नन्द कुमार मिश्र मेरे कब्जे वाले गाटा संख्या 1087 के तीन बीघे जमीन में बोई अरहर की जुताई कर दी। गाली गलौज करते हुए नंद कुमार मिश्रा ने धमकाया भी था कि हम बहुत बड़े आदमी के साले हैं, यह जमीन मैंने बैनामा लिया है। अगर विरोध करोगे तो जान से मरवा देंगे तथा जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया।
तहरीर के आधार पर पुलिस ने 3 जुलाई 2019 को धारा 427, 504, 506 में मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दिया था। मुकदमे की विवेचना उप निरीक्षक राहुल कुमार पाण्डेय द्वारा की गई। जहां विवेचक ने दौरान पर्चा नंबर 5 में बतौर साक्षी राम अचल दुबे का बयान अंतर्गत धारा 161 दर्ज किया गया है। विवेचक ने उक्त भूमि की षष्ठ वार्षिक खतौनी का अवलोकन किया। जबकि खतौनी के मुताबिक दर्ज किए गए साक्षी राम अचल दुबे की मौत 6 वर्ष हो चुकी थी।
जिसमें राम अचल दुबे को मृतक होने की स्थित में उनके सगे बेटे रमाकांत दुबे को उनका जायज वारिस मानते हुए उनके नाम दाखिल खारिज का उल्लेख किया गया है। अधिवक्ता पवन पाण्डेय ने पुलिस को दी गई तहरीर में आरोप लगाया है कि विवेचन अभिकरण ने मृतक का बयान अभियुक्तों को बचाने के मकसद से राम जानकी महाविद्यालय रामनगर अमावसूफी के प्राचार्य अवधेश शुक्ला के दबाव और प्रभाव में दर्ज किया।
पीड़ित पवन पाण्डेय ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 (2) के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत करने के लिए 2 जुलाई 2024 को थाना खण्डासा पुलिस को तहरीर दिया, लेकिन अभी तक मुकदमा पंजीकृत नहीं हो सका है।