हिमाचल लोकसभा चुनाव : यही रात अंतिम, यही रात भारी, बस इस रात की अब कहानी है सारी
तेजपाल नेगी
सोलन। आखिर वह रात आ ही गई जब कई दिन लंबे प्रचार अभियान के बाद प्रदेश भर में चुनाव मैदान में उतरे तमाम प्रत्याशी अपनी तैयारियों की समीक्षा करने बैठे हैं। आज की रात प्रत्याशियों के साथ चुनाव आयोग के अधिकारियों—निष्पक्ष मतदान कराने में जुटी सराकरी मशीनरी और मतदाता के लिए भी सबसे लंबी रात होगी। प्रत्याशियों इस प्रदेश के दुरूह और लंबे चौड़े निर्वाचन क्षेत्र के हर घर और हर मतदाता तक व्यक्तिगत रूप से न पहुंच पाने का मलाल अवश्य होगा। अधिक से अधिक मतदान कराने का लक्ष्य लेकर कई महीनों से पसीना बहा रहे चुनाव आयोग के तमाम अधिकारियों के लिए कल का दिन किसी परीक्षा की घड़ी से कम नहीं होगा।
अधिक से अधिक लोग पोलिंग बूथों तक पहुंचे तो उन्हें बोनस अंक मिलेंगे और यदि मतदान प्रतिशत गिरा तो उन्हें लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के अभियान के बारे में नए सिरे से सोचना होगा जो आगामी विधानसभा चुनावों में उनके काम आएगा। पोलिंग बूथों पर मतदान कराने के लिए तैनात चुनाव कर्मी और सुरक्षा कर्मियों के लिए भी आज की रात अपने प्रदर्शन की पूर्व तैयारी की अंतिम रात है। शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव उनके लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं। और दूसरी ओर अपने घरों में बैठा मतदाता भी आज रात इसी पशोपेश में होगा कि कल सुबह से शाम तक चलने वाले मतदान में वह गलत प्रत्याशी के नाम के आगे वाला बटन न दबा आए। आज रात एक क्षण को तो हर मतदाता के दिमाग में यह सवा अवश्य कौधेंगा कि देश के लिए उसे भावनात्मक नहीं होना है, अपने सही प्रतिनिधि को वोट देकर वे देश का आज ही नहीं बल्कि अपना भविष्य भी तय करने की ओर एक बटन आगे बढ़ेंगे।
राजनैतिक खेमों में सतही तौर पर 30 मई की शाम पांच बजे से ही सन्नाटा पसर गया था, लेकिन सतह के भीतर पिछले कई महीनों से इन दलों के भीतर जो हलचल थी उससे कहीं ज्यादा हलचल हिलोरे मार रही होगी इन दलों के कर्णधारों के दिलों में। अपने चुनाव प्रचार अभियान के बीच हुई चूकों की पूरी फिल्म उनकी नजरों के सामने से गुजर गई होगी। लेकिन इन गलतियों को दुरुस्त करने का समय शायद उनके पास अब नहीं है। हालांकि राजनीति की भाषा में इसी रात को कत्ल की रात कहा जाता है। राजनैतिक दल अपने अपने बहुमत वाले इलाकों की इस रात पहरेदारी करते हैं। ताकि उनके प्रतिद्वंद्वी उनके वोट बैंक में साम— दाम— दंड और भेद किसी भी प्रकार से सेंधमारी न कर सकें।
आज सुबह जब आपके नजरों के सामने से यह रिपोर्ट गुजर रही होगी तब तक या तो मतदान शुरू हो चुका होगा या फिर सुबह साढ़े पांच बजे के लगभग मतदान केंद्रों पर ईवीएम की फाइनल टेस्टिंग शुरू हो चुकी होगी। आठ बजे से हिमाचल के लाखों नर नारी अपने चार प्रतिनिधियों के लिए मतदान केंद्र को कूच करने लगेंगे। संभव है कि पूरी रात की सोच समझ के बाद उन्होंने अपना मन बना ही लिया होगा। लोकसभा चुनाव में मतदान केंद्रों के बाहर मतदाता को रिझाने के पार्टियों के बूथ बहुत हो हल्ला नहीं होता, ऐसे में मतदाता के मानस पर नई छवि बनने की संभावना कम ही होती है।
लेकिन पिछले दस सालों की सत्ता को बचाने के लिए भाजपा और अपनी खोई पावर को वापस हासिल करने के लिए कांग्रेस दोनों के ही नेताओं के लिए यह रात आखों में ही गुजरी होगी। आज शाम तक लोगों का फैसला ईवीएम में कैद होजाएगा और चार जून को दोपहर तक आने वाले परिणामों में हिमाचल के परिणाम भी शामिल होंगे। तब तक नेताओं के हाथ में करनक े लिए कुछ भी नहीं होगा। जो होना था बस कल रात तक होना था… और वो हो गया।