काम की बात : इस बार दोपहर बाद 1:30 से शुरू होगा रक्षाबंधन का मुहूर्त, इससे पहले रहेगा भद्राकाल
नई दिल्ली। भाई बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूती प्रदान करने वाला रक्षाबंधन त्योहार कल है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष रक्षा बंधन पर भद्रा का साया रहेगा। मान्यता है भद्रा काल में राखी बांधना शुरू नहीं होता। राखी हमेशा भद्राकाल के बीत जाने के बाद ही बांधी जाती है।
इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सोमवार दोपहर से शुरू होगा। ये समय 19 अगस्त के दिन दोपहर 01:30 से रात्रि 09:07 तक रहेगा। कुल मिलाकर शुभ मुहूर्त 07 घंटे 37 मिनट का रहेगा।
भाई को राखी बांधने से पहले आप शुभ मुहूर्त के अनुसार थाली तैयार कर लें। थाली में राखी, अक्षत और मिठाई आदि सब रख लें। फिर भाई को तिलक लगाएं। इसके बाद अपने भाई के दाहिने कलाई पर राखी बांधें। इस दौरान राखी में तीन गांठ लगाएं। मान्यता है कि राखी की पहली गांठ को भाई की लंबी उम्र, दूसरी गांठ बहन की लंबी उम्र और तीसरी गांठ को रिश्तों की मजबूती के लिए बांधी जाती है। इसके बाद आप भाई को मिठाई खिलाएं। फिर सुख-समृद्धि की कामना करते हुए भाई की आरती उतारें।
राखी शुभ मुहूर्त आरंभ – दोपहर 01:30 के बाद
शुभ मुहूर्त समापन- रात 09:07 तक
शास्त्रों के अनुसार जब भी रक्षाबंधन पर भद्रा काल रहता है तो उस समय तक राखी बांधना अशुभ होता है। ऐसे में भद्राकाल के दौरान राखी बांधना वर्जित होता है। भद्रा के शुरू होने से पहले या फिर भद्रा के खत्म होने के बाद ही राखी बांधी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य और पत्नी छाया की पुत्री व भगवान शनि की बहन हैं। भद्रा के जन्म लेते ही भद्रा बहुत ही उग्र स्वभाव की थीं। भद्रा यज्ञों में विघ्न-बाधा पहुंचाने लगी और मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा सारे जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि रावण की बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी जिस कारण से रावण का वध प्रभु राम के हाथों से हुआ था।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में किसी भी तरह का शुभ कार्य को करने में शुभ मुहूर्त का विचार अवश्य ही किया जाता है। शुभ योग और शुभ मुहूर्त में किया जाने वाला कार्य हमेशा ही सफल माना जाता है जबकि अशुभ मुहूर्त में किया जाने वाला कार्य का प्रभाव नकारात्मक होता है। ज्योतिष में तिथि, वार, ग्रह और नक्षत्रों के योग से अलग-अलग तरह के योग बनते हैं। शुभ योग में अभिजीत मुहूर्त, सर्वार्थसिद्ध योग, रवि योग , पुष्य योग आते हैं जबकि अशुभ योग में राहु काल और भद्रा काल आदि का विचार किया जाता है।
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सबसे पहले सुबह स्नान और पूजा पाठ करके राखी की तैयारियां करें, फिर बहन भगवान गणेश जी का ध्यान करते हुए भाई के माथे पर चंदन, कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं। फिर भाई की दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे। इसके बाद भाई को नारियल देते हुए मिठाई खिलाएं और दीपक जलाकर आरती करें। अंत में अपने इष्ट देवी या देवता का स्मरण करते हुए भाई की सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें।
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रक्षाबंधन बहन-भाई के स्नेह और प्यार का त्योहार माना गया है। जिन बहनों के अगर कोई भाई नहीं तो वे अपने पिता, इष्टदेव और घर पर लगे किसी पेड़-पौधे को रक्षासूत्र बांध सकती हैं।