देहरादून/हल्द्वानी… चुनाव : उत्तराखंड की आज जनता चुनेगी अपनी सरकार, जानें इस विधानसभा चुनाव की खास जानकारी
देहरादून/हल्द्वानी। देवभूमि उत्तराखंड की 70 सीटों पर आज वोटिंग होने जा रही है। इन सीटों पर 632 कैंडिडेट्स मैदान में ताल ठोक रहे हैं। राज्य की राजनीति पर हावी रहने वाले गढ़वाल मंडल के 7 जिलों की 41 सीट पर 391 कैंडिडेट भाग्य आजमा रहे हैं, जबकि कुमाऊं मंडल के 6 जिलों की 29 सीटों पर 241 प्रत्याशी मैदान में हैं। लेकिन इस बार राजनैतिक माहौल देखकर लग यह रहा है कि मुख्यमंत्री पद कुमाऊं की झोली में ही आएगा।
देश के सबसे ज्यादा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स वाले उत्तराखंड में कल शाम तक तमाम प्रत्याशियों जो अपना जोर दिखा दिया और आज बारी है मतदाता की। मतदाता अपने वोट के करंट से किसका घर रोशन करता है यह तो दस मार्च को पता चल सकेगा, लेकिन रूझान आज शाम तक प्रत्याशियों के खेमों में दिखने लगेगा। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम शत प्रतिशत मतदान की राह की बड़ी बाधा बन सकता है। मौसम विभाग विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की बात कही है, जिससे राज्य में मतदान के दौरान बारिश और ताजा बर्फबारी होने की पूरी संभावना है।
मौसम के कारण चुनाव आयोग के लिए बर्फीले इलाकों में मतदान कराना खासा चुनौतीपूर्ण होगा। राज्य के कुल 11,647 मतदान केंद्र में से आधे से ज्यादा 766 मतदान केंद्र बर्फबारी वाले इलाकों में हैं। इतना ही नहीं, 33 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जिन तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को 10 किलोमीटर से अधिक पैदल चलना पड़ा। फिर भी अभी तक कहीं से भी किसी तरह की बुरी खबर नहीं है। सब कुछ पूर्व नियोजित ही चल रहा है।
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राज्य में 1,155 ऐसे मतदान केंद्र हैं, जिन तक पहुंचने के लिए दो किलोमीटर या इससे अधिक चलना होगा। पहली बार चुनाव आयोग ने गंगोत्री धाम में भी पोलिंग बूथ बनाया है। 10,727 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह सबसे ऊंचा मतदान स्थल है। यहां पर 138 वोटर हैं।
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राज्य में 78 लाख 46 हजार वोटर कैंडिडेट्स के भाग्य का फैसला करेंगे, इनमें 40 लाख 87 हजार 18 पुरुष और 37 लाख 58 हजार 731 महिला मतदाता हैं। मतदाताओं की संख्या के हिसाब से रुद्रप्रयाग जिला सबसे छोटा है, जबकि देहरादून सबसे बड़ा जिला है। सीटों के हिसाब से हरिद्वार सबसे बड़ा है।
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दो दशक पहले उत्तर प्रदेश से अलग होकर राज्य बनने वाले उत्तराखंड की राजनीति अब तक दो पार्टी भाजपा और कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही रही है। उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) पहले चुनाव को छोड़कर कभी चुनौती देने वाली भूमिका में नहीं रहा है, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस बार कर्नल अजय कोठियाल जैसे साफ छवि वाले चेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।
अजय कोठियाल का जातिगत वोटबैंक इस पहाड़ी राज्य में हार-जीत के समीकरण तय करता रहा है। उक्रांद ने भी इस बार नया जोश दिखाया है, जबकि कई सीटों पर निर्दलीय कैंडिडेट्स भी अपनी स्थानीय छवि के दम पर मजबूत होड़ में हैं।
सपा, बसपा और ओवेसी की एआईएमएआईएम भी उत्तराखंड में ताल ठोक रही है। बसपा से यहां से पहले भी सीटें निकालती रही है। लेकिन सपा की साईकिल उत्तराखंड के पहाड़ चढ़ने में इससे पहले विफल ही रही है। कुल मिलाकर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेेस के बीच ही दिख रहा है।
आज सुबह आठ बजे जब पोलिंग बूथों के द्वार मतदाताओं के लिए खुलेंगे तब जनता अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए ईवीएम के बटन दबाएगी।
चुनाव आयोग चाहता है कि अधिक से अधिक मतदान हो, लेकिन कोरोना का खौफ और मौसम का मिजाज वोटों की प्रतिशत तय करेगा।
जो भी हो अब गेंद मतदाता के पाले में चली गई है। जनता अपने विवेक से निर्णय लेगी कि इस बार सत्ता की चाबी किसे सौंपनी है। जनता का निर्णय सभी दलों और प्रत्याशियों के लिए शिरोधार्य होगा यह उम्मीद की जानी चाहिए। सभी प्रत्याशियों, राजनैतिक दलों, चुनाव आयोग के अधिकारियों प्रदेश की जनता को विधानसभा चुनावों के लिए शुभकामनाएं।