हल्द्वानी…उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में “विज्ञान में गणित के उपयोग ” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
हल्द्वानी। गणित विभाग द्वारा “विज्ञान में गणित के उपयोग ” विषय पर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय मे आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ओ० पी० एस० नेगी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया जिसमें प्रोफेसर एन के जोशी, कुलपति, कुमाऊं विश्वविद्यालय एवं डा. दीपांकर बनर्जी, निदेशक, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान, नैनीताल विशिष्ट अतिथि रहे।
तदपश्चात कार्यक्रम के संयोजक कार्यक्रम के संयोजक डा. अरविंद भट्ट ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की और सभी अतिथियों का अतिथियों का स्वागत किया क्रम में इसी क्रम में प्रोफेसर पीडी बंद निदेशक विज्ञान विद्या शाखा ने विज्ञान विद्या शाखा और उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की तत्पश्चात डा. दीपांकर बनर्जी ने बनर्जी ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डा. दीपांकर बनर्जी ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इसी क्रम में प्रोफेसर एनके जोशी कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने गणित के उपयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी दी, तत्पश्चात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने अपना अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने कहा की इस तरह के सेमिनार और संगोष्ठी विश्वविद्यालय में होती रहनी चाहिए इससे सभी को कुछ ना कुछ सीखने का अवसर प्रदान होता है।
अंत में विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार डा. रश्मि पंत ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और धन्यवाद ज्ञापित किया उसके बाद तकनीकी सत्र आरंभ हुआ। जिसमें सर्वप्रथम व्याख्यान प्रोफेसर शांताराम डायरेक्टर,भारतीय सांख्यिकी संस्थान नई दिल्ली ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
तत्पश्चात प्रो. गोपाल दत्त गणित विभाग पीजीडीएवी कॉलेज नई दिल्ली ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। इस तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर उनियाल संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड के द्वारा की गयी द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रो. आरपी पंत गणित विभाग उत्तराखंड कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया तत्पश्चात प्रो. अमिता तोमर, श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय उत्तराखंड ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सभी विद्याशाखाओं के निदेशक, शिक्षक और देश के विभिन्न प्रदेशों के शोधार्थी उपस्थित रहे।