सोलन ब्रेकिंग : ऊषा शर्मा ने मंत्री को दी चुनौती : शूलिनी माता मंदिर में आएं और कसम खाकर बताएं कि मेयर चुनाव में बिंदल से मदद मांगी थी कि नहीं

सोलन। नगर निगम के मेयर ऊषा शर्म और पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर की निगम से सदस्यता रद्द किए जाने के बाद ऊषा शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शंडिल और नगर निगम के पार्षद सरदार सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा था कि मेयर के लिए हुए चुनाव में पार्टी ने सरदार सिंह को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था।

सत्यमेव जयते डॉट काम के साथ हुई बातचीत में ऊषा शर्मा ने कहा कि यदि स्वास्थ्य मंत्री शांडिल और सरदार सिंह सच्चे हैं तो माता शूलिनी के दरबार में आकर कसम खाकर बताएं कि क्या वे चार पार्षदों का समर्थन लेने के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल के पास नहीं गए थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार में कई महकमे संभाल रहे कर्नल डा. धनीराम शांडिल अपने विभागों के कामकाज देखने के बजाए सोलन नगर निगम की राजनीति में उलझे रहते हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री के आसपास घूमने वाले लोग उन्हें सोलन नगर की राजनीति को गलत फीड बैक देते हैं। इसी वजह से कांग्रेस को लगातार यहां असफलता का सामना करना पड़ रहा है।


उन्होंने कहा कि ऐसे ही कांग्रेसी नेताओं की वजह से सोलन विधानसभा क्षेत्र से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को बढ़त नहीं मिल सकी। स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा क्षेत्र से ही कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में पिछड़ जाने की जांच कौन करेगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम के मेयर के लिए हुए चुनाव में मेयर पद के लिए उन्हें 11 वोट मिले थे। जबकि डिप्टी मेयर के लिए भाजपा की ओर से चुनाव लड़ी मीरा आनंद को 12 वोट मिले।

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उस समय यहां के राजनैतिक समीकरणों में भाजपा और कांग्रेस के संयुक्त मोर्चे के पास कुल मिला कर 11 वाोट ही थे। फिर मीरा आनंद को 12वां वोट किसी न किसी कांग्रेसी पार्षद ने ही दिया होगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कभी इस काली भेड़ को चिन्हित करने का प्रयास क्यों नहीं किया। निश्चित रूप से यह वोट किसी कांग्रेसी पार्षद का था, जो भी अभी भी मंत्री के आसपास घूम रहा है।

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उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यमंत्री ने कभी भी नगर स्थित जिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर ध्यान नहीं दिया। नगर निगम क्षेत्र में पानी की विकराल हो रही समस्या पर भी उन्होंने कभी भी ध्यान नहीं दिया। लेकिन वे नगर निगम की राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय नजर आते हैं। लोकसभा चुनाव के समय प्रभारी डॉली शर्मा ने स्वयं यहां पहुंच कर उन्हें कांग्रेस भवन में होने वाली बैठक में बुलाया था लेकिन कांग्रेस के मंत्री के आसपास रहने वाले कुछ नेताओं को यह बात अच्छी नहीं लगी और वे कुछ पार्षदों के साथ मीटिंग से बाहर निकल गए। इस पर डॉली शर्मा ने उन्हें फोन करके लताड़ भी लगाई थी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रभारी डॉली शर्मा ने उनकी सारी बात सुनने के बाद कहा था कि वे व सीएम सुखविंद्रर सुक्खू उनके साथ है और उके इस आश्वासन के बाद उन्होंने लोकसभा चुाव के लिए अपने दम पर अपने वार्ड व आसपास विनोद सुल्तानपुरी का चुनाव प्रचार किया।

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उन्होंने एक बार फिर दावा किया है कि मेयर चुनाव के लिए ऐन वक्त तक कांग्रेस की ओर से प्रत्याशाी की घोषणा ही नहीं की गई थी। न ही पार्टी के पार्षदों के लिए इस तरह का कोई व्हिप जारी किया गया था। उन्होंने बैठक में पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री के स्वयं चुनाव लड़ने के अपना फैसले से अवगत कराया था। तब भी मंत्री ने उनसे कुछ नहीं कहा, लेकिन बाद में कह दिया गया कि कांग्रेस के व्हिप जारी करने के बाद भी पार्षदों ने अलग से चुनाव लड़ा।

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उन्होंने कहा कि उनकी सदस्यता रद्द करने के सरकारी निर्णय के खिलाफ वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगी और उन्हें अदालत से ही न्याय मिलने की उम्मीद है।

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