हिमाचल ब्रेकिंग … घोषणा से पहले ही विक्रमादित्य उतरे मंडी के चुनावी रण में, लेकिन शिमला से विनोद संशय में

शिमला। हिमाचल में सेंटर आफ अट्रेक्शन बनी मंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से प्रदेश के लोनिवि मंत्री विक्रमादित्य सिंह का मैदान में उतरना लगभग तय हो गया है। आज दिल्ली से लौट कर उन्होंने तो पार्टी के आदेश को शिरोधार्य करने का बयान दिया तो उनकी मां, मंडी की वर्तमान सांसद और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने भी कह दिया कि मंडी में भाजपा की युवा नेत्री का मुकाबला कांग्रेस के युवा नेता से होने पर ही सीट कांग्रेस के पाले में आ सकती है।

मंडी सीट से भाजपा के ओर से फिल्म अभिनेत्री कंगना रणौत को टिकट दिए जाने के बाद से ही यह सीट देश भर की हॉट सीटों में शामिल हो गई थी। हालांकि कांग्रेस ने प्रदेश की चारों सीटों पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन मतदान के लिए एक एक दिन कम होने के कारण कांग्रेस हाईकमान के ऊपर यह निर्णय जल्दी करने का दवाब बढ़ता जा रहा है।

पिछले दिवस कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के साथ हिमाचल के तमाम वरिष्ठ कंग्रेसी नेताओं की बैठक में प्रदेश की चारों सीटों पर भेजे गए टिकट के दावेदारों के नामों पर चर्चा हुई। चर्चा में मंडी सीट पर विक्रमादित्य सिंह और शिमला सीट पर कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी को लड़ाए जाने की चर्चा भी हुई।

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यह खबर सबसे पहले सत्यमेव जयते ने ही अपने पाठकों के सामने रखी। आज विक्रमादित्य और उनकी मां प्रतिभा सिंह दोनों ने ही इस खबर पर मोहर लगा दी। यह अलग बात है कि कांग्रेस की ओर से 11 अप्रैल के बाद प्रत्याशियों की घोषणा में किसका नाम सामने आएगा लेकिन बहुत उम्मीद है कि विक्रमादित्य सिंह को मंडी सीट से कंगना रणौत के सामने मैदान में उतारा जाएगा।

विक्रमादित्य ने शायद अघोषित रूप से इस चुनौती को स्वीकार भी कर लिया है। इसीलिए उनके एक्स हैंडल पर लगातार मंडी सीट पर कंगना रणौत को कटघरे में घेरने के प्रयस जारी है। आज गौ मांस वाला मुद्दा उठाकर उन्होंने साबित कर दिया कि उनके नाम की औपचारिक घोषणा से पहले ही वे अघोषित रूप में मैदान में उतर चुके हैं।

दूसरी और भाजपा खेमा भी कांग्रेस की इस रणनीति को समझ गया है। वह भी राजपरिवार और विक्रमादित्य को लगातार निशाने पर ले रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम ठाकुर हों या पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल सबके निशाने पर अचानक विक्रमादित्य आ गए हैं।

हालांकि विक्रमादित्य को मंडी से और विनोद सुल्तानपुरी को शिमला से कांग्रेस का टिकट दिया जाता है, साफ है कि उनके विजयी होने की स्थिति में प्रदेश में दो सीटों पर उपचुनाव होंगे। लेकिन कंगना रणौत और सुरेश कश्यप को हराकर कम से कम दो सीटें जीतने के बाद कांग्रेस के पास खाली हुई विधानसभा सीटों को दोाबारा हासिल करना कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी। यह अलग बात है कि विनोद सुल्तानपुरी अपनी दावेदारी को लेकर बहुत ज्यादा सक्रिय दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। लेकिन विक्रमादित्य शिमला में बैठकर अचानक राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गए हैं।

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आज दिन में उन्होंने फिर से अपनी फेसबुक पर एक पोस्ट डाल कर कंगना को आड़े हाथों लिया। उन्होंने लिखा है कि ‘हम हिमाचल की जनता के विश्वास दिलाना चाहते हैं कि यह चुनाव हिमाचल और हिमाचलियत के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। कुछ लेागों के अनुसार भारत के प्रथम प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे या नरेंद्र मोदी, क्योकि वे कहते हैं कि भारत को आजादी 2014 में मिली, यह मसले आज के संदर्भ में महत्वपूर्ण नहीं हैं।…विक्रमादित्य सिंह


दरअसल कंगना रणौत ने एक साक्षात्कार में यह सवाल उठाया था कि जब देश् 1947 में आजाद हुआ था तो उस समय देश के प्रथम प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बेस कहा थे। विक्रमादित्य ने इस पोस्ट के माध्यम से कंगना के राजनैतिक व सामान्य ज्ञान पर फिरकी ली है।

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मंडी से कंगना के मुकाबले विक्रमादित्य को मैदान में उताारने के पीछे आज उनकी मां प्रतिभा सिंह ने जो वजहें गिनाई हैं वे हें तो दमदार लेकिन अंतत: सबसे ज्यादा ताकतवर तो चुनाव क्षेत्र की जनता ही होती है। मंडी सीट को युवाओं के बीच क जंग का मैदान बनाने का एक फायदा कांग्रेस को यह होगा कि युवा वोट कांग्रेस के पक्ष में आ सकते हैं।

भले ही विक्रमादित्य उम्र में कंगना से छोटे हो लेकिन वे प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री रहे हैं और इस नाते उनका लोगों से सीधा जुड़ाव रहा है। जबकि कंगना जब अपने घर मंडी या हिमाचल प्रदेश में आई हैं वे एक सेलेब्रिटी के तौर पर ही यहां पहुंची। उनके आभा मंडल को तो लोग स्वीकार करते हैं लेकिन वे एक सफल राजीतिज्ञ साबित होंगी इस सवाल का जवाब अभी भविष्य के गर्भ में है। वैसे भी कंगना अपने विवादित बयानों को लेकर पहले भी देश में बड़बोली अभिनेत्री के रूप में पहचानी जाती हैं। ऐसे में विक्रमादित्य के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प होना तय है।

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