लालकुआं…कहिए नेता जी—4 : AUDIO/क्या डा. मोहन सिंह बिष्ट भाजपा से पहले भावना पांडे की जेसीपी से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे, विचारधारा कैसे बदल लेते हैं जनाब
लालकुआं। भाजपा के लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी डा. मोहन सिंह बिष्ट के बार—बार विचारधारा बदलने का सवाल जनता में कन्फ्यूजन पैदा कर रहा है। आज ‘लालकुआं… कहिए नेता जी —4’ का सवाल इसी मुद्दे पर कि क्या मोहन सिंह बिष्ट एक तय विचारधारा में विश्वास रखते हैं या फिर सब टिकट की माया है।
जनता कैबिनेट पार्टी की अध्यक्ष भावना पांडे का एक और आडियो जारी हुआ है। जिसमें वे लालकुआं क्षेत्र में हरीश रावत के पक्ष में मतदान के लिए लोगों से अपील कर रही हैं। लेकिन इस आडियो के एक हिस्से में वे कह रही हैं कि उनकी जनता कैबिनेट पार्टी ने काफी पहले मोहन सिंह बिष्ट का नाम लालकुआं के लिए फाइनल कर दिया था, सरिता आर्या का नाम भी उनकी पार्टी ने फाइनल कर दिया था। बाद में भाजपा और कांग्रेस ने उनके प्रत्याशियों को हाईजैक कर लिया।
यहां वे स्पष्ट करती हैं कि मोहन सिंह वहीं जो लालकुआं से चुनाव लड़ रहे हैं। साफ है कि वे अपा दावा उन्हीं मोहन सिंह बिष्ट के लिए कर रही हैं जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
वीडियो के अंत में भावना पांडे कहती है कि उनकी पार्टीें हिंदू मुस्लिमों की राजनीति करने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है। यानी मोहन सिंह बिष्ट तब धर्म निरपेक्षता का विचार रखने वाली पार्टी से भी चुनाव लड़ने को तैयार थे। यह तब था जब डा. बिष्ट निर्दलीय के रूप में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत कर जिला पंचायत के सदन में आए थे।
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अब वे भाजपा के प्रत्याशी हैं और भाजपा के तमाम प्रत्याशियों के प्रचार वाहनों पर ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे’ गाना बज रहा है। एक बात और कुछ दिन पहले भावना पांडे का अन्य आडियो वायरल हुआ था। जिसपर हमने स्वयं भावना पांडे से बात की थी। उन्होंने बताया था कि वह आडियो उन्होंने मोहन सिंह बिष्ट के लिए ही रिकार्ड किया था। न तब और ना ही अब तक मोहन ने भावना पांडे के इस दावे को खारिज किया है।
अब लोग बड़ा सवाल उठा रहे हैं कि क्या डा. बिष्ट सीट पर काबिज होने के लिए अपनी विचारधारा बदलते रहते हैं। टिकट के लिए वे भावना पांडे की जेसीपी में शमिल होने से भी नहीं हिचकते जहां सर्वधर्म सम्भाव का दावा किया जाता है और टिकट मिला तो वे कट्टर हिंदू कहीं जाने वाली भाजपा से भी चुनाव लड़ने को तैयार हो जाते हैं। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय के रूप में जिला पंचायत चुनाव में ताल ठोकते हैं और अपने ही बड़े भाई को पराजित करके जिला पंचायत में पहुंच जाते हैं। तो क्या उनकी कोई एक विचारधारा है या फिर उनकी विचारधारा समय के अनुसार बदलती रहती है।
मोहन सिंह बिष्ट चूंकि सत्ताधारी पार्टी की ओर से मैदान में हैं इसलिए उनसे उनके व उनकी पार्टीकी पिछली सरकार के बारे में सवाल पूछने का हक भी जनता को है। हमें डा. मोहन सिंह बिष्ट के जवाब का इंतजार रहेगा…