कब से शुरू होगा पितृपक्ष, जानें कब कौन सा श्राद्ध, और श्राद्ध करने का सही समय
17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू होने जा रहा है। श्राद्ध में तीन पीढ़ियों तक पितरों को तर्पण और पिंडदान देने का विधान है। श्राद्ध में तर्पण के जरिये ही पितरों का ऋण चुकाया जा सकता है। इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी 17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू होने जा रहा है। पितृ पक्ष को श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। श्राद्ध में तीन पीढ़ियों तक पितरों को तर्पण और पिंडदान देने का विधान है। तर्पण और पिंडदान पितरों की पुण्य (मृत) तिथि पर दिया जाता है। श्राद्ध में तर्पण के जरिये ही पितरों का ऋण चुकाया जा सकता है। इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि दो अक्तूबर तक पितृ पक्ष रहेगा। राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी उमेश नौटियाल ने बताया कि 17 सितंबर को स्नानदान पूर्णिमा लगते ही पितृपक्ष शुरू हो जाएगा। पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्राद्ध के दौरान सबसे पहले हाथ में जल लेकर पितरों को अर्पित करने को तर्पण कहा जाता है। इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान कर उन्हें जल ग्रहण करने की प्रार्थना करनी चाहिए। तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
किस समय करें श्राद्ध कर्म
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा होती है. वहीं दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. इसलिए दोपहर 12:00 बजे श्राद्ध कर्म किया जाता है. श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता हैं. जब आपको श्राद्ध कर्म करना हो तो सुबह सबसे पहले स्नान आदि करें और इसके बाद अपने पितरों का तर्पण करें.
पिंडदान में पितरों को भोजन का दान दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष यानी पूर्वज श्राद्ध में गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी या देवताओं के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भोजन के पांच अंश निकालने का विधान है।
कब कौन सा होगा श्राद्ध
पूर्णिमा का श्राद्ध- 17 सितंबर
प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध – 18 सितंबर
द्वितीया तिथि का श्राद्ध – 19 सितंबर
तृतीया तिथि का श्राद्ध – 20 सितंबर
चतुर्थी तिथि का श्राद्ध – 21 सितंबर
पंचमी तिथि का श्राद्ध – 22 सितंबर
षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध – 23 सितंबर
अष्टमी तिथि का श्राद्ध – 24 सितंबर
नवमी तिथि का श्राद्ध – 25 सितंबर
दशमी तिथि का श्राद्ध – 26 सितंबर
एकादशी तिथि का श्राद्ध – 27 सितंबर
द्वादशी तिथि का श्राद्ध – 29 सितंबर
त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध – 30 सितंबर
चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध – 1 अक्तूबर
सर्व पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष समाप्त- 2 अक्तूबर को होगा। कुछ लोग हरिद्वार जाकर भी श्राद्ध कराते हैं।