उत्तराखंड …दावों की पोल: स्वास्थ्य सुविधाएं चाक चौबंद तो चिकित्सालयों के दहलीज पर दम क्यों तोड़ रही जिंदगी, एक ही दिन में दो केस आए सामने
हल्द्वानी। स्वास्थ्य विभाग को सुविधासम्पन्न और संवेदनशील बनाने के सरकारी दावों के बीच उत्तराखंड के दो शहरों से हैरान और परेशान कर देने वाली खबरें आ रही हैं। पहली है पिथौरागढ़ में जिला चिकित्सालय से। जहां एक बच्चे ने अपने पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया। चिकित्सालय में पहुंच कर भी उसे उपचार नहीं मिल सका। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें पिता अपने बेटे का शव गोद में लेकर बैठा है। बच्चे की मां की चित्कार कलेजे को फाड़ देने वाली है।
और दूसरी खबर है गढ़वाल से। यहां ऋषिकेश के सरकारी चिकित्सालय में आठ माह की बच्ची की बुधवार की सुबह आपातकालीन कक्ष में मौत हो गई।बच्ची के पिता ने चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कोतवाली पुलिस को शिकायत पत्र दिया है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। मृत बच्ची का नाम निधि था। उसे मंगलवार से उल्टियां हो रही थी।
ऋषिकेश के चंद्रेश्वर नगर मोहल्ले की गली नंबर 19 निवासी राजकुमार ने बताया कि उसकी आठ माह की पुत्री निधि को मंगलवार को उल्टी की शिकायत हुई।
उनकी पत्नी सीमा बच्ची को लेकर रात में राजकीय चिकित्सालय की आपातकालीन सेवा में पहुंची। वहां उपस्थित चिकित्सक ने कुछ दवाई पीने को दी और सुबह बाल रोग चिकित्सक को दिखाने की सलाह दी।
उन्होंने बताया कि वह बुधवार की सुबह सही वक्त पर चिकित्सालय पहुंच गए थे। करीब आधा घंटा लाइन में खड़ा होना पड़ा। बाद में बाल रोग विशेषज्ञ ने बच्ची के परीक्षण के बाद उसे आपातकालीन सेवा में ले जाकर भर्ती कराने को कहा।
सुबह ड्यूटी पर उपस्थित डा. सागर भट्ट ने बताया कि बाल रोग विशेषज्ञ स्वयं बच्ची को आपातकालीन सेवा में लेकर आए। उसे उपचार देना शुरू कर दिया गया था, लेकिन उसकी मौत हो गई।
बच्ची की मां सीमा और पिता राजकुमार ने आपातकालीन सेवा में बीती रात उपचार के दौरान लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि रात में ही यदि बाल रोग विशेषज्ञ को बुला लिया गया होता तो आज उनकी बच्ची जीवित होती।
कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रवि कुमार सैनी ने बताया कि बच्ची के पिता ने शिकायत पत्र दिया है। जिस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहरादून से नियमानुसार जांच कराई जा रही है।