ब्रेकिंग न्यूज : मुख्यमंत्री बदलते ही ‘घर की पहचान— बेटी का नाम’ योजना की ही हो गई भ्रूण हत्या

लालकुआं। उत्तराखंड में बेटियों को एक नई पहचान दिलाने के उद्देश्य से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा शुरू की गयी ‘घर की पहचान बेटी के नाम’ योजना ही मुख्यमंत्री के बदलते ही भ्रूण हत्या का शिकार हो गई लगती है। अब न तो किसी के घर बेटी के जन्म पर सरकारी बधाई संदेश आते हैं, और न ही बेटियों के नामों की नाम पट्टिका लोगों के घरों के प्रवेश द्वारों पर लगाने का अभियान चलाया जा रहा है। पूछने पर अधिकारी बजट का अभाव बता रहे हैं।


पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में बाल विकास विभाग के माध्यम से एक अनूठी पहल की शुरुवात की थी इसके अंतर्गत “घर की पहचान बेटी के नाम” के तहत घर की बेटी का नाम घर के बाहर लगने वाली नेमप्लेट में मुख्य नाम के स्थान में लगाये जाने का प्रावधान किया गया था साथ ही इस नेमप्लेट को सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी ढाला गया था । नेमप्लेट को विशेषकर प्रमुख लोक कला ‘ऐपण शैली’ से सजाने का खाका तैयार किया गया था।

लालकुआं विधायक नवीन दुम्का ने भी बनवाया था पौत्री के नाम को बोर्ड


बेटी का नाम घर की नेमप्लेट पर लिखे होने से क्षेत्रवासी भी बहुत ही ज्यादा उत्साहित थे । उनका मानना था कि ऐसे में बेटियों को आगे बढ़ने का और अधिक मौका मिलता यही नही बेटियां भी बेटों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आगे भी चल सकेंगी । हालांकि उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस अभियान की शुरुआत भी बहुत जोरशोर से की साथ ही जिला प्रशासन को इस अभियान को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी दी गयी । नेमप्लेट को पारंपरिक कला के साथ बनाया गया था किन्तु निजाम बदलते ही उत्तराखंड भाजपा सरकार द्वारा पूर्व में उन्हीं की पार्टी के मुख्यमंत्री द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत चलाई गयी इस महत्वपूर्ण योजना को पलीता लगा दिया गया । जबकि इस महत्वपूर्ण योजनांतर्गत अभिभावकों को बेटियों के प्रति जागरूक भी किया जा रहा था ।

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एपण कला से सुसज्जित नाम पट्टिकाएं कुछ ऐसी बननी थीं

बेटियों के लिए सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी भी उन्हें दी जा रही थी बेटी के जन्म लेने पर जिला प्रशासन की तरफ से शुभककामना संदेश भेजे जा रहे थे किन्तु निजाम के बदलते जिम्मेदार महकमें द्वारा सरकार की ओर से चलाई गयी उक्त योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है ।

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महिलाओं को आय के साधन भी हो रहे थे उपलब्ध

जानकारी लेने पर महकमे के जिम्मेदारों द्वारा बजट के अभाव का हवाला देकर बजट आते ही उक्त योजना पुनः संचालित किए जाने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया जा रहा है इस योजना के संचालित होने के बाद एक कदम आगे बढ़ाते हुए लालकुआँ विधानसभा क्षेत्र के विधायक नवीन चन्द्र दुम्का ने अपने आवास का नाम बदल कर अपनी पौती के नाम से खुशी निवास रख लिया था ।

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