अडानी की मार, बागवान लाचार @ रामपुर बुशहर : किसान सभा बोली- सरकार कार्पोरेट घरानों के साथ, सेब उत्पापदक हो गया असहाय

रामपुर बुशहर। हिमाचल प्रदेश में सेब की खरीद दरों में आई गिरावट के लिए अब सरकार कटघरे में खड़ी की जाने लगी है। हिमाचल किसान सभा ने तो इसके लिए सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार इस लूट में कार्पोरेट घरानों के साथ खड़ी है और बागवानों के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है।


हिमाचल किसान सभा जिला शिमला महासचिव देवकी नंद,जिला उपाध्यक्ष प्रेम चौहान जिला सचिव दिनेश मेहता व जगदीश ने कहा है कि हाल ही में अडानी समूह द्वारा सेब के जो दाम तय किये हैं। जिसमें बीते साल 80-100 फीसदी रंग वाले सेब के दाम 85 रुपये प्रति किलो था जबकि इस बार इसी सेब का रेट 72 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है। इसी तरह दूसरे दर के सेब के रेट में भी भारी गिरावट की गई है। इतने कम रेट में किसानों को अपने बागीचे का खर्च निकलना मुश्किल हो जाएगा।


उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों व बागवानों के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह नाकाम रही है, प्रदेश सरकार बड़े बड़े घरानों के साथ खड़ी होकर बागवानों का शोषण कर रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो प्रदेश सरकार ने किसानों व बागवानों को मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया है जिससे कि लागत बढ़ रही है, आज किसान बाजार से महंगी दवाई खरीदने को मजबूर हैं वहीं दूसरी तरफ किसानों व बागवानों को बाजार में सेब के कम दाम मिल रहे हैं। आज के समय में उत्पादन लागत में कई गुना बृद्धि हुई है परंतु किसानों व बागवानों को आज लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है जिससे कि आज इनकी आजीविका का संकट ओर गहरा हो रहा है।

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उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रदेश आर्थिकी को बचाने में पूरी तरह विफल रही है। प्रदेश सरकार का बड़े बड़े कॉरपोरेट पर कोई नियंत्रण नहीं है उन्हें खुली छूट दी जा रही है। सरकार को चाहिए कि वह इन कॉरपोरेट घरानों की इस मनमर्जी पर रोक लगाये। उन्होंने कहा कि सेब के दामों में आई गिरावट से व निरन्तर लागत वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण सेब की 5 हजार करोड़ की आर्थिकी भी गहरे संकट में चली गयी है।

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किसान सभा प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस संकट से बागवानों को को बाहर निकालने के लिए
लिए कश्मीर की तर्ज पर एमआईएस (मंडी मध्यस्थता योजना) के तहत सेब खरीदना चाहिए। जिसमें ए ग्रेड के लिये 60 रुपये प्रति किलो बी ग्रेड के लिए 44 रुपये व सी ग्रेड के लिए 24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से एचपीएमसी, हिमफेड व अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से सेब खरीदना चाहिए।प्रदेश सरकार की लच्चर कार्यप्रणाली के कारण एपीएमसी कानून की खुली अवहेलना पर रोक लगानी चाहिए,कानून के प्रावधानों को सही तरीके से लागू करना चाहिए। मंडियों में जिनके पास लाइसेंस व परमिट है उन्हें ही कारोबार करने की इजाजत देनी चाहिए तथा किसानों को जिस दिन उसका उत्पाद बिकता है उसी दिन खरीददार व आढ़ती द्वारा भुगतान के प्रावधान को लागू करना चाहिए।


उन्होंने कहा कि 30 अगस्त को शिमला संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर होने वाले अधिवेशन में किसान सभा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेगी।

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