उत्तराखंड…#राजनीति में नेपोटिज्म : यूपी से विरासत में मिली राज्य को वंशवाद की परंपरा
देहरादून। देश में भले ही राजशाही पर विराम लग गया हो। लेकिन, इस परंपरा को देश के खाटी राजनेताओं आज भी अपना कर रखा है। बहरहाल वंशवाद की परंपरा उत्तराखंड में भी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की परंपरा चल रही है।
दिलचस्प बात यह कि वर्तमान में यह परिपाटी भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों में नजर आती है। शुरुआत करते हैं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा से। उत्तराखंड की राजनीति में उनके पुत्र विजय बहुगुणा ने इसे आगे बढ़ाया। टिहरी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने के बाद वह पिछली कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2016 में वह भाजपा में शामिल हो गए। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उनके पुत्र सौरभ बहुगुणा को टिकट दिया और वह विधायक बने।
उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनाव को अब बस तीन-चार महीने ही शेष हैं। सत्तारूढ़ भाजपा हो या फिर मुख्य विपक्ष कांग्रेस समेत सपा, बसपा व आप जैसी पार्टियां, सभी पूरी शिद्दत के साथ मोर्चे पर जुट चुकी हैं। इस सबके बीच अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि अगले चुनाव में विरासत की सियासत की कड़ी में कौन-कौन से चेहरे सियासी परिदृश्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
ऐसा ही कुछ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के साथ भी है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और पिछली कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आर्य ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थामा। भाजपा ने उन्हें और उनके पुत्र संजीव आर्य को टिकट दिया और दोनों ने जीत दर्ज की। यशपाल आर्य भाजपा सरकार में मंत्री बने और संजीव उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। मौजूदा विधानसभा की ही बात करें तो राजनीतिक विरासत की कड़ी में शामिल कई सदस्य इसमें भी हैं।
उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में विधायक रहे भारत सिंह रावत के पुत्र दिलीप रावत दूसरी बार विधायक बने हैं।
बसपा विधायक व मंत्री रहे स्व सुरेंद्र राकेश की पत्नी ममता राकेश भी दूसरी बार विधायक बनी हैं। कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन के बाद उनकी पत्नी चंद्रा पंत ने उनकी राजनीतिक परंपरा को आगे बढ़ाया है। भाजपा विधायक रहे स्व मगनलाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी भी वर्तमान चौथी विधानसभा की सदस्य हैं। भाजपा विधायक स्व सुरेंद्र सिंह जीना के बाद उनकी विरासत उनके भाई महेश जीना ने संभाली है। पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की राजनीतिक विरासत को उनकी पुत्री ऋतु खंडूड़ी ने आगे बढ़ाया है।
वह वर्तमान विधानसभा की सदस्य हैं। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत भी उत्तराखंड में मंत्री रह चुकी हैं।
इस बात की काफी संभावना है कि इनमें से अधिकांश चेहरे अगले विधानसभा चुनाव में भी मैदान में नजर आएंगे। इनके अलावा कुछ नए चेहरे इस परिपाटी से जुड़ते नजर आ सकते हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र आनंद रावत व पुत्री अनुपमा रावत का नाम लिया जा सकता है। पूर्व मंत्री स्व इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश के चुनाव लडऩे की पूरी संभावना है। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के भी अगले चुनाव में नजर आने की चर्चा चल रही है।
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