हल्द्वानी… #मन के लड्डू : यूपी से कितनी बार हो चुकी परिसंपत्तियों के बंटवारे की सुलह, अब भी नहीं कोई गारंटी

हल्द्वानी। उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा ठीक उसी कहावत की तरह है। ये गया, वो गया और हो गया। लेकिन कोई लिखित समझा नहीं हुआ है। समझौते की कोई गारंटी नहीं है। 2017 से अब तक अनगित बैठक हुई। लेकिन, हर बार जल्द होगा बंटवारा की मिश्री जनता के बीच घोल दी जाती है। हर बार नतीजा सिफर ही रहा है। इन दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मीडिया की सुर्खिया बने हुए हैं।

उन्होंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता कर 21 साल पु​राना विवाद सुलझा लिया है। ये होगा में ही शामिल है। अभी हुआ नहीं है। उदाहरण के तौर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम लंबित भुगतान का 205 करोड़ रुपये देगा। दिया नहीं है। फिर किस बात की खुशी। यहां चुनाव को लेकर नेताओं के बात की बारीकी को समझने की जरूरत है। लखनऊ और देहरादून में पिछले दो दशक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच दर्जनों बैठक हो चुकी हैं। लेकिन, नतीजा कहां हैं? 11 अप्रैल 2017 को लखनऊ में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच परिसंपत्तियों को लेकर वार्ता हुई।

तब कहा गया कि जल्द उत्तराखंड को अपना हक मिलेगा। इसी साल अगस्त में भी बैठक हुई। 19 अप्रैल 2019 को योगी आदित्यनाथ टिहरी झील रैबार सम्मेलन में बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। तब भी कहां गया अब कोई दिक्कत नहीं जल्द परिसंपत्तियों को बंटवारा हो जाएगा। इसके बाद 17 नवंबर 2020 को योगी आदित्यनाथ केदारनाथ दर्शन करने आए। तब भी कहां गया बंटबारे को लेकर कोई चिंता नहीं है। जल्द हो जाएगा परिसंपत्तियों बंटवारा।

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अगस्त 2019 को लखनऊ में हुई थी। उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच कई मामलों पर सहमति बन गई थी लेकिन एक भी परवान नहीं चढ़ी। लोगों को उम्मीद थी कि दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में भी बीजेपी, इसलिए सुखद परिणाम सामने आएंगे।


अब मुख्यमंत्री धाम और योगी आदित्यनाथ के बीच हुई बार्ता में कह रहे हैंं, हो गया बंटवारा। कहीं कोई लिखित नहीं। किसी समझौते पर कोई हस्ताक्षर नहीं हुए। फिर भी कह रहे हैं बंटवारा हो गया।
उत्तराखंड और यूपी के बीच पिछले 21 सालों से चले आ रहे परिसंपत्ति विवाद का हल होने का दावा किया है। चुनावी साल में इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्र, यूपी और उत्तराखंड में भाजपा की सरकारें होने के बावजूद परिसंपत्तियों के विवाद न सुलझ पाने को लेकर सवाल उठते रहे हैं।


विपक्ष भी सरकार पर लगातार तंज करता रहा है, लेकिन अब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की लखनऊ में हुई बैठक में कई मसलों पर सहमति बनने के बाद भाजपा इसे ट्रिपल इंजन की करामात बता रही है। चुनावी साल में परिसंपत्तियों की राह खुलने से धामी भी सुकून महसूस कर रहे हैं। राज्य पुनर्गठन आयोग के तहत उत्तराखंड और यूपी के बीच सिंचाई विभाग की भूमि और भवन, कुंभ मेला भूमि के हस्तांतरण के मसलों पर लंबे समय से विवाद रहा।

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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का ये होना है बंटवारा

उधमसिंह नगर, हरिद्वार और चम्पावत में 1315 हेक्टेयर भूमि और 351 भवनों का हस्तांतरण होना है। कुम्भ मेला क्षेत्र हरिद्वार में 697 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण होना है। हरिद्वार में भीमगौड़ा बैराज की क्षमता बढ़ाने के लिए 665 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराना है।


हरिद्वार और उधमसिंह नगर में ऐसी 24 नहरों का नियंत्रण यूपी से उत्तराखंड को मिलना है जो उत्तराखंड की सीमाओं के भीतर ही खत्म हो जाती है, यानि जिनका हेड और टेल दोनों उत्तराखंड में है और जिसके पानी का लगान और आबपासी यूपी वसूल करता है।


किच्छा में रोडवेज स्टैंड पर 0.348 हेक्टेयर भूमि यूपी सिंचाई से उत्तराखंड रोडवेज को मिलनी है। यूपी ऊर्जा विभाग से उत्तराखंड ऊर्जा विभाग को 1.56 करोड़ मिलना है।
मनेरी भाली हाइड्रो प्रोजेक्ट में एलआईसी से लिया गया 552 करोड़ का ऋण देना है।
टीएचडीसी हाइड्रो में यूपी की 25 प्रतिशत अंशपूंजी उत्तराखंड को हस्तांतरित होनी है।
रामगंगा बांध, शारदा नहर खटीमा, हरिद्वार जिले में पथरी और मोहम्मदपुर हाइड्रो प्रोजेक्ट्स उत्तराखंड को मिलने है।


यूपीएसआरटीसी को यूटीसी (उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन) का 36 करोड़ रुपया चुकाना है।
अजमेरीगेट गेस्ट हाउस दिल्ली, यूपीएसआरटीसी का लखनऊ मुख्यालय, कानपूर केंद्रीय कार्यशाला, एलन फारेस्ट कार्यशाला व ट्रेनिंग सेंटर की संपत्ति का विभाजन होकर उत्तराखंड को लगभग 227 करोड़ मिलने है।

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पेंशन का तक़रीबन 1200 करोड़ बकाया है यूपी पर। यूपी खाद्य नागरिक आपूर्ति से उत्तराखंड को 629 करोड़ मिलना है। यूपी से उत्तराखंड वन विभाग को 77.31 करोड़ मिलना बाकी है।
यूपी से उत्तराखंड कृषि विभाग को 1.80 करोड़ रूपये मिलना शेष है। हरिद्वार में अलकनंदा पर्यटक आवास गृह का लोकार्पण दिसंबर में होगा।

उसी समय पर्यटक आवास गृह उत्तराखंड को हस्तांतरित किया जाएगा। किच्छा में यूपी सिंचाई विभाग की बस स्टैंड की भूमि 15 दिन में उत्तराखंड मिलेगी। वन विभाग के अवशेष 90 करोड़ का भुगतान यूपी सरकार उत्तराखंड को तत्काल करेगी।  जिला ऊधमसिंह नगर में धौरा, बैगुल, नानक सागर जलाशय में पर्यटन एवं वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति। हरिद्वार में ऊपरी गंग नहर में भी जल क्रीड़ाएं हो सकेंगी।


1700 आवास, 5700 हेक्टेयर भूमि पर सहमति बनी। सिंचाई विभाग की 5700 हेक्टेयर भूमि और 1700 आवासों में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के उपयोग के लिए आवश्यक भूमि व भवन का आकलन करने के लिए संयुक्त सर्वे होगा।

संयुक्त सर्वे कर इसका शीघ्र चिह्नीकरण किया जाएगा। बनबसा व किच्छा बैराज की मरम्मत यूपी कराएगा। आपदा से जीर्ण शीर्ण हुए भारत नेपाल सीमा पर स्थित बनबसा बैराज तथा किच्छा बैराज का निर्माण उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग कराएगा। आवास विकास परिषद की परिसंपत्तियां बराबर बंटेगी। उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद् की परिसंपतियों के निपटारे से होने वाली आय एवं देनदारियों का दोनों राज्यों को 50-50 प्रतिशत के अनुपात में बंटवारा होगा।

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