श्रीनगर… #शिक्षा : दूध बोली को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के मिशन को सफल बनाएं
श्रीनगर। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) चड़ीगांव पौड़ी गढ़वाल के सौजन्य एवं राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखण्ड के तत्वावधान में नई शिक्षा नीति 2020 के तहत उत्तराखंड के प्रारंभिक शिक्षण में मातृभाषा की संभावनाएं विषय को लेकर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यशाला में वक्ताओं ने दूध बोली को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के मिशन को सफल बनाने की अपील की। कार्यशाला के उद्घघाटन सत्र में बोलते हुए डायट प्राचार्य डा. महावीर सिंह कलेठा ने कहा कि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन श्रीनगर के सहयोग से पांच दिवसीय कार्यशाला 11 दिसम्बर तक आयोजित की जाएगी। कहा कार्यशाला में प्रारम्भिक शिक्षा में कार्यरत उन अध्यापकों को शामिल किया गया है जो कि लोकभाषा में बाल साहित्य को रचते हैं।
कहा एससीईआरटी द्वारा प्रदेश के विभिन्न डायटों को अलग-अलग भाषा में काम करने के लिए चयनित किया गया है। कार्यशाला में पौड़ी से गिरीश सुंद्रियाल, धर्मेन्द्र नेगी, हरीश जुयाल कुटज, रमेश बडोला, यतेन्द्र गौड़, श्वेता रावत, सरोज डिमरी, अंजना कण्डवाल, संगीता फारसी, राधा मैन्दोली, सुनीता बहुगुणा, नन्दी बहुगुणा, सीमा शर्मा, इंदू पंवार के अलावा जनपद पौड़ी, चमोली, टिहरी व रुद्रप्रयाग के लोकभाषा मर्मज्ञ व साहित्यकार शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं।
कार्यशाला के समन्वयक जगमोहन कठैत ने दूधबोली को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनने पर हर्ष व्यक्त करते हुए सभी प्रतिभागियों से इस मिशन को सफल बनाने की अपील की। आयोजन में प्रदीप अंथवाल, अशोक काण्डपाल, संगीता डोभाल, कमलेश जोशी, राहुल नेगी मुकेश काला व महेश गिरि आदि सहयोग प्रदान कर रहे हैं।