बागेश्वर…एक्सक्लूसिव : 31 अक्टूबर तक होनी थी हर सड़क पैच लेस, लेकिन यहां तो दो साल से सड़क बदहाल है
बागेश्वर। कहते हैं न कि सरकारी आदेश सिर्फ फाइलों के लिए ही होते हैं। ऐसा ही एक आदेश उत्तराखंड शासन से होते हुए मंडलायुक्त तक गत वर्ष पहुंचा था। आदेश में कहा गया था कि प्रदेश की तमाम सड़कें 31 अक्टूबर तक गड्ढा मुक्त हो जानी चाहिएं। यहां सड़कों से अभिप्राय राष्ट्रीय राजमार्ग, राज मार्ग और जिला मार्गों से था। आदेश ऊपर से था इसलिए जिलाधिकारियों तक पहुंचाया गया। अखबारों में खबरें छपीं और जनता सपने देखने लगी कि अब वह भी पैच लेस सड़कों की यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त कर सकेंगे। बताया गया कि आदेश पर तीव्र गति से काम शुरू कर दिया गया है।
गत माह जिलाधिकारी विनीत कुमार ने इन आदेशों का पालन किस हद तक हुआ यह पता लगाने के लिए अलग अलग विकासखंडों के लिए अधिकारियों की टीमें बनाकर उन्हें यह जांच करने की जिम्मेदारी दी कि 31 अक्टूबर तक पैच लेस हुई सड़कें पैचलेस हुई भी या नहीं। अब इन कमेटियों ने जिलाधिकारी को अपनी रिपोर्ट सौंपी है या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन जिले की तमाम सड़कें इस आदेश की पोल खोल रही हैं।
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ऐसी ही एक सड़क है ढालन-खुनौली रोड। कहने को तो यह मोटर मार्ग है लेकिन इस सड़क पर लोगों का पैदल चलना भी दूभर है। ग्रामीण बताते हैं कि सड़क की हालत 2019 से ऐसी ही है। बागेश्वर विकास खंड के अंतरगत आने वाली इस सड़क से कई माइनों की खनन सामग्री बाहरी इलाकों तक जाती है। सड़क पर भारी वाहन ज्यादा चलते हैं और यही वजह है कि सड़क पर बने गड्ढे अब विशाल हो चुके हैं। बरसात के दिनों में तो इस मोटर मार्ग पर सफर करना मौत के साथ सीधे पंजे लड़ाने जैसा है।
खास बात है कि इस क्षेत्र की खड़िया खदानों से कोरोड़ों रूपये का राजस्व सरकार की तिजोरी में जमा होता है लेकिन सरकार पिछले दो सालों से इस सड़क को ऐसे भूल चुकी है जैसे इस इलाके में उसका कोई मतदाता रहता ही न हो। सड़क छोटे वाहन तो छोड़िये पैदल चलने के लायक भी नहीं है। इसलिए ग्रामीणों ने दुर्घटनाओं के अंदेशे को देखते हुए कई किमी का लंबी दूसरी सड़क तक अपने गांव जाने में ही भलाई समझी और इस सड़क को उसके ही हाल पर छोड़ दिया।
ग्रामीण कई किमी की दूरी तय कर दूसरे रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। बड़ा सवाल यह है कि खनन न्यास का पैसा इन क्षेत्रों की बदहाली दूर करने के लिये लगाए जाने का नियम है लेकिन अगर उस धन से एक सड़क की दशा नहीं बदली जा सक रही है तो क्षेत्र की दशा कैसे बदलेगी।
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अब देखने वाली बात यह है कि इस सड़क पर पैच लेस करने के आदेश लागू हुए भी या नहीं। यदि नहीं हुए तो अधिकारियों की कमेटी ने इस सड़क पर अपनी क्या रिपोर्ट दी।
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