हल्द्वानी/लालकुआं…कहिए नेता जी-3 : अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, आईएसबीटी और जू तीनों मुद्दों पर पांच साल चुप क्यों रहे जोगेंद्र रौतेला और मोहन सिंह बिष्ट
तेजपाल नेगी
हल्द्वानी/लालकुआं। अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, आईएसबीटी और जू ये तीन ऐसे मुद्दे हैं जो दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए कॉमन है। पहली है हल्द्वानी और दूसरी है लालकुआं। ये तीनों निर्माण होने लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में थे लेकिन लाभ इसका हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र के लोगों को मिलना था। लेकिन पांच साल पहले जब भाजपा सत्ता में आई तो लोगों को सौगात देने के बजाए सरकार ने सबसे पहला काम इन परियोजनाओं पर ब्रेक लगाने का किया। स्टेडियम जिसका 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। प्रदेश सरकार उसका उद्धाटन तक नहीं करा सकी। आईएसबीटी के निर्माण को तुरंत रोक दिया गया और लोगों को लॉलीपॉप थमाया गया कि इससे भी बेहतरीन आईएसबीटी नई जगह पर बनाया जाएगा लेकिन पांच साल पूरे हो गए और सरकार आईएसबीटी के लिए जगी तक का चयन नहीं करा सकी और जू की फाइलें कहां है किसी को पता ही नहीं है। कहिए नेता जी के हल्द्वानी और लालकुआं के संयुक्त अंक में दोनों विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशियों से सीधे सवाल
भाजपा के हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी और नगर निगम के मेयर डा. जागेंद्र रौतेला और लालकुआं के प्रत्याशी डा. मोहन सिंह बिष्ट यहां के कद्ददावर नेता कहे जाते हैं। 2017 में जब प्रदेश सरकार बनी तक बिष्ट भाजपा में ही थे। अगर उन्हें अपने इलाके के विकास की चिंता थी तो उन्होंने आईएसबीटी का काम रूकने क्यों दिया, और अगर रूक भी गया था तो नई जगह के जल्दी चयन के लिए अपनी ही सरकार पर दवाब क्यों नहीं बनाया।
याद नहीं आता है कि कभी इन दोनों नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर कोई सार्वजनिक बयान दिया हो। आईएसबीटी शहर के बाहर जाता तो नगर निगम इलाके में यातायात व्यवस्था में सुधार आता यह बात डा. रौतेला को समझ क्यों नहीं आई। सरकार बनने के लगभग दो साल बाद ड. मोहन सिंह के पार्टी से निकाला गया। इसके बाद वे जिला पंचायत सदस्य रहे, जब उनका लक्ष्य विधानसभा चुनाव लड़ना ही था तब भी तीन साल तक वे शांत क्यों बैठे रहे। क्या उन्हें मालूम था की अंतोत्गत्वा भाजपा में उनकी वापसी हो ही जाएगी।
यह बात इसलिए कह रहे हैं कि डा. मोहन सिंह ने चुनाव के ऐलान के काफी समय पहले से ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना चुनाव अभियान छेड़ दिया था।
दूसरा सवाल जब स्टेडियम बनकर लगभग पूरा हो चुका है तो उसके उद्घाटन के लिए डा. रौतेला और डा. बिष्ट ने क्या—क्या प्रयास किए। या वे इसलिए इस मुद्दे पर पांच साल चुप रहे क्योकि स्टेडियम के बाहर इंदिरा स्टेडियम लिखा गया है।
करोड़ों की लगत से बने इस निर्माण कार्य को खंडहर बनने से बचाने के लिए सत्ताधारी पार्टी के स्थानीय नेताओं को कोई प्रयास तो करने ही चाहिए थे। आखिर जिस धन से स्टेडियम बना था वह उसकी जनता की गाढ़ी कमाई थी जिसे टैक्स के रूप में जमा कराया जाता है। डा. बिष्ट चाहे भाजपा में रहे या उससे बाहर लेकिन लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के लिए एक उपहार दिलाने में उन्होंने अपना योगदान क्यों नहीं दिया। यही सवाल डा. रौतेला से भी आखिर क्यों उन्होंने इस मामले में चुप्पी साधे रखी।
और तीसरा सवाल जू पर, कि यह बनता भले ही लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में लेकिन इसका सीधा लाभ हल्द्वानी को मिलना था तो इस जूरिस्टिक पार्क के निर्माण का कार्य आगे बढ़ने से क्यों रोक दिया गया। क्यों नेताद्वय ने इसके लिए सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई। अगर नहीं पहुंचाई तो आपकी चुप्पी क्या आपकी अपनी विधानसभा क्षेत्रों की जनता के साथ किया गया छल नहीं था!
दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपहार सरीखी ये तीनों परियोजनाओं को ठंड बस्ते में डालना आपकी पार्टी के नारे ‘किया है, करती है,करेगी सिर्फ भाजपा’ के दोगलेपन को उजागर नहीं करता है।
हल्द्वानी/लालकुआं… कहिए नेताजी—3 : के संयुक्तांक में दोनों नेताओं से पूछे गए सवालों के जवाबों का हमें इंतजार रहेगा। उम्मीद है हमारे पाठकों को उनका भी पक्ष पढ़ने को मिल जाए।
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