अल्मोड़ा : उत्तराखंड ने खोया एक सरल व निष्कपट नेता – पीसी तिवारी
अल्मोड़ा। बच्ची सिंह रावत बचदा उन नेताओं में थे जो कांग्रेस के प्रचंड एकाधिकारी युग में अपनी सरलता, आंदोलनों में भागीदारी एवं ज़रूरतमंदों को सहयोग करते हुए आगे बढ़े थे। चिपको, वन बचाओ, उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के प्रखर आंदोलनों के दौर में वे वैचारिक विभिन्नता के बावजूद मुद्दों पर हमेशा साथ खड़े रहते थे। तब आंदोलनों के केंद्र में रहने वाली उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी चिपको, वन बचाओ व छात्र आंदोलनों की धुरी थी और सत्ता की मनमानी के ख़िलाफ़ विपक्षी पार्टियों के आंदोलनों का हिस्सा भी बनती थी। बचदा के साथ उन दिनों से ही हमारे बहुत अच्छे संबंध रहे।
संघर्ष वाहिनी ने जब उत्तराखंड राज्य आंदोलनों को तेज़ करते हुए अक्टूबर 1988 में अंतरराष्ट्रीय हिमालयन कार रैली का विरोध करने का फैसला किया तो भतरौंजखान में कार रैली रद्द करने को लेकर मेरे साथ हमारे सहयोगी जिसमें छात्राएं व महिलाएं भी थीं और रानीखेत में विरोध प्रदर्शन करने वाले साथी पूरन बिष्ट, तरुण जोशी आदि के ख़िलाफ़ लगाए गए मुकदमों में उन्होंने न्यायालयों में हम लोगों की जमानत हेतु निशुल्क पैरवी की थी।
अक्सर रानीखेत क्षेत्र में जन समस्याओं, श्रमिक कर्मचारी आंदोलनों में हम लोग साथ- साथ शामिल होते थे। उनको चार बार इस क्षेत्र से सांसद बनने एवं उत्तरप्रदेश में विधायक बनने का मौक़ा मिला।
इस पूरे दौर में उन्होंने कभी भी राजनीतिक कारणों से कोई भी दुर्भावना नहीं रखी। हमेशा खुले दिल से सबका सम्मान किया। इतने बड़े पदों में होने के बावजूद भी उन्होंने कभी कोई गुमान नहीं किया। एक पत्रकार के रूप में मैंने अनेकों बार उनसे बातचीत की। राज्य रक्षा मंत्री के रूप में एक पत्रकार वार्ता में उनके द्वारा दिए गए बयान के कारण उनका विभाग भी बदला गया पर उन्होंने इसको बहुत स्वाभाविक रूप से लिया। वो बताते थे कि पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम राज्य रक्षा मंत्री के रूप में अनेक बार उनसे मिलते थे इसका सुखद अहसास उन्हें था।
बचदा काफी समय से बीमार थे इस दौरान उनसे ज़्यादा मिलना जुलना नहीं हुआ जिसका हमें अफसोस रहेगा। बचदा के साथ हम लोगों की बहुत सी यादें जुड़ी हैं वो उत्तराखंड के सम्मानित राजनेताओं में से एक थे। उनके निधन से उत्तराखंड ने एक एक सरल सहयोगी, राजनीतिज्ञ और हमने अपना एक मित्र खो दिया है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी की हार्दिक श्रद्धांजलि।