मुंबई…सीएम एकनाथ शिंदे को पेड़ा खिलाकर फंस गए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, उड़ रहा मजाक, शरद पंवार बोले— राजभवन का गुणात्मक बदलाव
मुंबईं। महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की खुशी इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब छाई हुई है। वे विपक्ष के निशाने पर हैं तो सोशल मीडिया पर लोग उन्हें संयमित रहने की सलाह दे रहे हैं। दरअसल महाराष्ट्र के नए नवेले सीएम एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का राजभवन में लड्डू खाने का वीडियो इन दिनों चर्चा में है।
पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने राजभवन में इस वाकये को लेकर गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी पर निशाना साधा। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पुणे में एक कार्यक्रम में गवर्नर पर ये तंज कसा है। पवार ने कहा, मैं कई शपथग्रहण समारोहों का हिस्सा रहा हूं, लेकिन कभी किसी गवर्नर ने मुझे मिठाई नहीं खिलाई और न ही मुझे बुके दिया।
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दरअसल, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की नवनियुक्त मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को मिठाई खिलाते हुए वायरल तस्वीरों पर शरद पवार ने शनिवार को तंज कसा। पवार ने कहा, राज्यपाल के जनप्रतिनिधियों से व्यवहार में ‘ गुणात्मक बदलाव’ देखने को मिल रहा है।
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एनसीपी प्रमुख ने कहा, ‘मैंने एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह को टेलीविजन पर देखा। वह (राज्यपाल) उन्हें पेड़ा खिला रहे थे और गुलदस्ता भेंट कर रहे थे। ऐसा लगता है कि उनमें कुछ गुणात्मक बदलाव आया है। वर्ष 2019 में महा विकास अघाडी के नेताओं के शपथ ग्रहण समारोह को याद करते हुए पवार ने कहा, ‘मैं वहां मौजूद था। कोश्यारी ने कुछ भावी मंत्रियों द्वारा कुछ हस्तियों का नाम लेकर शपथ लेने पर आपत्ति जताई थी। यहां तक उन्होंने उस समय मुझे देखकर केवल प्रारूप के तहत ही शपथ लेने को कहा था।’
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उन्होंने कहा कि अगर एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को दिवंगत बालासाहेब ठाकरे और दिवंगत आनंद दिघे का उल्लेख किया लेकिन कोश्यारी ने उस समय कोई आपत्ति नहीं की। वयोवृद्ध नेता ने राज्यपाल और उनके कार्यालय के राज्य सरकार से संबंध पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, मंत्रिमंडल का फैसला हमेशा राज्यपाल के लिए बाध्यकारी होता है।
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एमवीए सरकार ने राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नामित करने के लिए 12 लोगों की सूची दी थी, जिसे कभी मंजूरी नहीं दी गई। यह कहा गया कि राज्य में बनी नयी सरकार के साथ वह जल्द फैसला लेंगे। पवार ने कहा, ‘यह स्पष्ट रूप से पदभार ग्रहण करने के दौरान उनके द्वारा लिए गए फैसले के विपरीत था। राज्यपाल को विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के साथ व्यवहार करने में तटस्थ होना चाहिए।’