…वो तो नीतीश अलर्ट मोड पर थे वर्ना बिहार में दोहराया जाता महाराष्ट्र पार्ट 2
जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में निशाना तो अपनी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को बनाया लेकिन उनका असली निशाना भाजपा पर था। उन्होंने नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि समय आने पर खुलासा करेंगे कि नीतीश कुमार के खिलाफ कहां.कहां और कैसे कैसे साजिश रची गई। उन्होंने चिराग पासवान मॉडल का जिक्र किया और यह भी कहा कि उसे दोहराने की कोशिश हो रही थी। उनकी इस बात का निशाना भी भाजपा पर था। अब जबकि नीतीश कुमार आरजेडी, कांग्रेस, कम्यूनिस्ट और लगभग सभी विपक्षी दलों के सयहयोग से बिहार के मुख्यमंत्री पद की आठवीं बार शपथ ले चुके हैं। बड़ा सवाल यह है कि जद यू उस केंद्रीय मंत्री के नाम को कब उजागर करेगी जिसने उनके विधायकों को पार्टी छज्ञेड़ने के लिए करोड़ों रूपयों की पेशकश की थी।
असल में ललन सिंह कोई नई बात नहीं कह रहे हैं। यह बात 2020 के विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद हुई जदयू की पहली बैठक में जीते हुए विधायकों और हारे हुए उम्मीदवारों ने कही थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा की मदद से चिराग पासवान चुनाव लड़े और उन्होंने जदयू उम्मीदवारों को हराया। तब नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के बड़े नेताओं ने कहा था कि वे सब जानते हैं और समय आने पर इसका हिसाब होगा। सोए ऐसा लग रहा है कि अब वह समय आ गया है। वह समय इसलिए आया क्योंकि नीतीश कुमार का गला दबाने के लिए चिराग मॉडल को दूसरी बार आजमाया गया।
पहली बार चिराग पासवान के जरिए नीतीश का गला दबाया गया। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की 110 सीटों को छोड़ कर चिराग ने हर सीट पर उम्मीदवार उतारा। ध्यान रहे भाजपा के कोर वोट बैंक का एक हिस्सा कभी भी नीतीश को वोट नहीं करता है। तभी साथ लडऩे पर भी हमेशा भाजपा का स्ट्राइक रेट जदयू से बेहतर होता है। 2020 के चुनाव में भाजपा ने अपना कोर वोट चिराग की ओर शिफ्ट कराया। वह तो नीतीश के चेहरे का जादू या उनकी पुण्यता और इकबाल था कि इसके बावजूद उनकी पार्टी 43 सीट जीत गई और उनके बिना किसी की सरकार नहीं बनने की स्थिति बन गई।
दूसरी बार नीतीश का गला आरसीपी सिंह को मंत्री बना कर दबाया गया।
सबको पता है कि नीतीश नहीं चाहते थे कि उनका एक सांसद मंत्री बने। वे तीन मंत्री पद चाहते थे। इसके बावजूद भाजपा ने आरसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री बनाया। जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा की योजना आरसीपी सिंह के जरिए जनता दल यू को तोडऩे की थी। वे बिहार में एकनाथ शिंदे बनने वाले थे। लेकिन नीतीश कुमार अलर्ट थे और उन्होंने आरसीपी के पर कतर दिए। तीसरा प्रयास यह हो रहा था कि नीतीश को मजबूर किया जाए कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ बिहार विधानसभा का चुनाव कराएं और नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए। तभी नीतीश के करीबी नेताओं का कहना है कि दो बार भाजपा ने उनका गला दबाने का प्रयास किया और किसी तरह से नीतीश बचे। सो, अब तीसरी बार वे अपना गला दबाने का मौका भाजपा को नहीं देंगे।