अल्मोड़ा……. फौजदारी के मुक़दमे में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दम्पत्ति को किया दोषमुक्त

अल्मोड़ा । फौजदारी के एक मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती रिंकी साहनी की अदालत ने अल्मोड़ा के एक दंपत्ति को दोष मुक्त किया।

पपरशैली निवासी जगमोहन सिंह बिष्ट उर्फ जगदीश बिष्ट ने एन टी डी चौकी में दिनाँक 4/11/2021 को एक तहरीर दी कि कल रात्रि लगभग 9.30 मिनट पर जब में अपने पपरशेली निवास पर बाहर से खड़ा था तभी पड़ोस में रहने वाले दम्मपत्ति कैलाश तिवारी तथा उसकी पत्नी मेरे घर के सामने आये और मुझ पर डंडे से हमला कर दिया,जिससे मेरे सर में तथा मेरी आंख में बहुत चोट लगी हैं।उक्त घटना को मेरे घर के किरायेदारों में भी देखा। उन दोनों ने मुझ पर जान लेवा हमला किया और जान से मारने की धमकी दी और गालीगलौच भी दी, वादी ने अपनी शिकायत में घटना के चस्मदीद गवाह के रूप में अपने किरायेदार रिश्तेदार गौरव मेहता पुत्र हरीश सिंह मेहता को गवाह बनवाया।

मामले अभियोजन की ओर से साक्ष्य के रूप में वादी जगमोहन सिंह बिष्ट,गवाह गौरव मेहता, एफ आई आर लेखक,मेडिकल परीक्षण करने वाले डॉक्टर और विवेचक को न्यायालय में परीक्षित करवाया।अभियोजन पक्ष का साक्ष्य समाप्त होने के बाद अभियुक्तगण द्वारा अपने बचाव पक्ष दस्तावेजी साक्ष्यों को दिया गया।अदालत ने पत्रावली में दिए गए अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत समस्त साक्ष्य व साक्षीगण के साक्ष्य में गंभीर विसंगतियां पाई गई, जिन्हें अदालत द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट को दर्ज किए जाने में देरी को प्रथम विसंगति, वादी द्वारा की गई घटना की तिथि व समय को द्वितीय विसंगति, अभियोजन पक्ष की तरफ से वादी के मेडिकल प्रमाण पत्र से संबंधित को तृतीय विसंगति, नक्शा नज़री घटनास्थल के संबंध में चतुर्थ विसंगति, अभियुक्तगण के विरुद्ध आरोपित अपराध अंतर्गत धारा 504,506 आई पी सी के संबंध में पंचम विसंगति और सरसरी तौर पर की गई विवेचना के रूप को षष्ठम व अत्यंत महत्त्वपूर्ण विसंगति के रूप उल्लेखित किया हैं।

यह भी पढ़ें 👉  नैनीताल न्यूज : भवाली-अल्मोड़ा हाईवे में नौवें दिन भी नहीं चले भारी वाहन

अदालत ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष दोनों की बहस व पत्रावली साक्ष्यों के आधार पर प्रस्तुत प्रकरण में अपने मतानुसार अभियोजन पक्ष को अभियुक्तगण के विरुद्ध धारा 323,504,506 आई पी सी के आरोपों को युक्तियुक्त संदेह से परे साबित करने में विफल रहने के परिणाम स्वरूप अपने निर्णय में अभियुक्तगण कैलाश चंद्र तिवारी और कविता तिवारी को आई पी सी की धारा 323,504,506 के अपराध से संदेह का लाभ प्रदान करते हुऐ दोषमुक्त किया।अभियुक्तगण की तरफ़ से मामले में अधिवक्ता रोहित कार्की द्वारा प्रबल पैरवी की गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *