उत्तराखंड राजनीति: टिहरी सीट पर निर्दलीय बॉबी की मजबूती और कांग्रेस के गुनसोला का अनुभव बिगाड़ न दे खेल “अजेय” राजलक्ष्मी का खेल

टिहरी, एल मोहन लखेड़ा। देश में लोकसभा चुनाव के महायज्ञ की पहली आहूति डालने की तिथि एक एक दिन करके नजदीक आती जा रही है। उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है, राज्य की पांच लोकसभा सीटों-टिहरी, पौड़ी गढवाल, नैनीताल, अल्मोड़ा, हरिद्वार से इस बार नए-पुरानों के बीच चुनावी जंग जारी है। उत्तराखण्ड की टिहरी संसदीय सीट इसबार सबसे ज्यादा चर्चा में है, इस बार लोकसभा चुनाव में यहां पहली बार है कि मोदी सरकार के दो कार्यकाल में विकास के तमाम दावों के बावजूद भाजपा की निर्वतमान सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह को निर्दलीय उम्मीदवार बॉबी पंवार की ओर से मिल रही कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।


उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार के लोकसभा चुनाव में ताल ठोंकने से टिहरी लोकसभा सीट पर मुकाबला अब बाॕबी और माला राज्यलक्ष्मी शाह के बीच ही होगा, जबकि कांग्रेस के जोतसिंह गुनसोला भी मैदान में हैं, वे मसूरी से दो बार पालिकाध्यक्ष और दो बार विधायक रहे हैं, गुनसोला दो बार क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष रहे हैं और उनका राजनैतिक अनुभव भी इस चुनाव को रोचक मोड़ पर ला सकता है, पार्टी ने फिर से उन्हें सक्रिय राजनीति की पिच पर उतारा है । उनके चुनाव लड़ने से कांग्रेसियों में खुशी है, कांग्रेस के पूर्व सचिव महेश जोशी का कहना है कि गुनसोला कांग्रेस के सर्वमान्य प्रत्याशी हैं उनकी जीत के लिये कांग्रेस मजबूती से जुटेगी।


लेकिन बॉबी पंवार को मिल रहे भारी जनसमर्थन से इस बार टिहरी का चुनावी रण रोचक बन गया है। बता दें कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस का गढ़ रहे टिहरी संसदीय क्षेत्र से आखिरी बार कांग्रेस के प्रत्याशी 2009 में विजय बहुगुणा ने चुनाव जीता था। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार निशानेबाज जसपाल राणा मैदान में थे, जिन्हें 2 लाख 10 हजार 144 वोट मिले थे, जबकि बहुगुणा को 2 लाख 63 हजार 83 मत मिले और विजयी हुए।

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इसके बाद टिहरी से कोई भी कांग्रेसी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है। बहुगुणा के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए। 2012 के उपचुनाव के बाद से माला राज्यलक्ष्मी शाह लगातार टिहरी का प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं। माला राज्यलक्ष्मी शाह ने 2012 के उपचुनाव में विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा को मामूली अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में साकेत बहुगुणा को जहां 2 लाख 23 हजार 141 वोट मिले थे, जबकि माला राज्यलक्ष्मी शाह को 2 लाख 45 हजार 838 वोट मिले थे। टिहरी संसदीय क्षेत्र में अन्य दलों का उम्मीदवार या निर्दलीय 2009 के चुनाव के बाद आज तक 11 हजार वोट का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया है।

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देश की राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के पदार्पण के बाद टिहरी संसदीय क्षेत्र में सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह का मुकाबला साल दर साल और आसान हो गया। भाजपा उम्मीदवार माला राज्य लक्ष्मी को 57 प्रतिशत मतदाताओं के 2014 में 4 लाख 46 हजार 733 वोट मिले थे, जबकि के साकेत बहुगुणा को 2 लाख 54 हजार 230 वोट ही मिले। नरेंद्र मोदी के चेहरे के बाद टिहरी का चुनाव भाजपा के लिए न सिर्फ एकतरफा हो गया, बल्कि इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी की जीत का अंतर (बढ़त) भी 2 लाख के आसपास हो गया। टिहरी संसदीय क्षेत्र में 2014 से पहले भाजपा प्रत्याशी का जो जीत का अंतर 20 से 30 हजार वोटों का होता था।

इससे टिहरी की सांसद माला राजलक्ष्मी अजेय हो गईं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में माला राजलक्ष्मी शाह को टिहरी के 64 प्रतिशत मतदाताओं का साथ मिला और वे 5 लाख 65 हजार 333 मत पाकर विजयी हुईं। यहां इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार प्रीतम सिंह थे, जिन्हें 2 लाख 64 हजार 747 वोट मिले। हालांकि इस संसदीय क्षेत्र की एक खास बात यह भी है कि कांग्रेस का 2 से ढाई लाख का वोटबैंक हमेशा उसके साथ रहा है। यह पहली बार है कि 2024 का चुनाव में माला राज्यलक्ष्मी शाह को अब तक के चुनाव में सबसे कड़ी चुनौती मिलने के आसार हैं।

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इस संसदीय क्षेत्र के लोग इसबार बदलाव चाहते है, वहीं सशक्त भूकानून, मूलनिवास, बेरोजगारों के मुद्दे, अंकिता हत्याकांड जैसे ज्वलंत प्रश्न आज भी मुहबाये खड़े हैं, वैसे तो सरल और सौभ्य स्वभाव के धनी कांग्रेस उम्मीद जोतसिंह गुनसोला भी जी तोड़ मेहनत में लगे हैं और उन्हें कांग्रेस का कैडर वोट तो मिलना ही है, ऐसे में अगर बाॕबी पंवार को मिलने वाला वोट दोनों राष्ट्रीय दलों के बीच से निकल कर बाहर आयेगा और कहीं कहीं भाजपा या कांग्रेस में से किसी एक पार्टी के वोट बैंक को डेमेज करेगा, अब देखना होगा कि मतदाता 2024 के चुनाव परिणाम में टिहरी सीट किसकी झोली में डालता है।

एक नजर टिहरी लोकसभा सीट पर :

वर्ष सांसद दल
1952 महारानी कमलेंदुति निर्दलीय
1957 मानवेंद्र शाह कांग्रेस
1962 मानवेंद्र शाह कांग्रेस
1967 मानवेंद्र शाह कांग्रेस
1971 परिपूर्णानंद पैन्यूली कांग्रेस
1977 त्रेपन सिंह नेगी बीएलडी
1980 त्रेपन सिंह नेगी बीएलडी
1984 ब्रह्मदत्त कांग्रेस
1989 ब्रह्मदत्त कांग्रेस
1991 मानवेंद्र शाह भाजपा
1996 मानवेंद्र शाह भाजपा
1998 मानवेंद्र शाह भाजपा
1999 मानवेंद्र शाह भाजपा
2004 मानवेंद्र शाह भाजपा
2009 विजय बहुगुणा कांग्रेस
2012 माला राज्यलक्ष्मी शाह भाजपा
2014 माला राज्य लक्ष्मी शाह भाजपा
2019 माला राज्य लक्ष्मी शाह     भाजपा

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