बिलासपुर न्यूज: प्रदेश के हितों की रक्षा करने के लिए फ्लाॅप साबित हुए हैं भाजपा के माननीय: सांख्यान

बिलासपुर (सुमन डोगरा)। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर संदीप सांख्यान ने प्रैस को जारी बयान में कहा है कि केंद्र सरकार का हिमाचल सरकार के साथ सौतेला व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जबकि केंद्र सरकार में भाजपा के एक बड़े नेता का तो घर ही हिमाचल में है और दूसरे उनसे भी बड़े नेता हिमाचल में आकर बार अपना घर यहीं बताते हैं तो फिर हिमाचल प्रदेश की सरकार और हिमाचल प्रदेश की जनता के साथ इस तरह सौतेला व्यवहार क्या इसलिए ही किया जा रहा है कि यहां के लोंगो ने जनमत कांग्रेस को दिया है और यहां पर कांग्रेस की सरकार है। संदीप सांख्यान ने हिमाचल प्रदेश के चार लोकसभा सांसदों और तीन राज्यसभा सांसदों को घेरते हुए कहा कि यह सात सांसद हिमाचल प्रदेश की जनता के हित केंद्र सरकार और पीएमओ तक आवाज उठाने में असफल हुए हैं।

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उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को मिलने वाला जीएसटी का मुआवजा घटता ही जा रहा है लेकिन भाजपा के सांसद इस विषय पर केंद्र सरकार ने बात तक नहीं कर पा रहे हैं। जीएसटी की अर्निंग से प्रदेश को मुआवजा नहीं मिल रहा है उससे प्रदेश सरकार में वितीय तंगी आ रही है, जिसका प्रतिकूल असर हिमाचल प्रदेश की जनता और हिमाचल प्रदेश में होने वाली विकासात्मक योजनाओं पर पड़ रहा है। संदीप सांख्यान ने कहा जुलाई माह में केंद्र सरकार के आम बजट में भी हिमाचल प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। संदीप सांख्यान ने कहा कि आपदा के बाद हिमाचल को केन्द्रीय बजट में हिमाचल प्रदेश को कुछ नहीं मिला है।

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उन्होंने कहा कि लगातार दो वर्ष प्रदेश में आई आपदा के बाद हिमाचल को केन्द्रीय बजट में हिमाचल प्रदेश को कुछ नहीं मिला है। संदीप सांख्यान ने कहा कि यहां तक कि आपदा के बाद हिमाचल को पीडीएनए के तहत 9 हजार करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे लेकिन वो भी अभी तक नहीं दिए गए और इसके अलावा प्रदेश के सांसद प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों, विशेषकर बेरोजगारीए गरीबी और बढ़ती कीमतों को केंद्र सरकार के समक्ष संबोधित करने में भी विफल रहे है। उन्होंने कहा कि राज्यों को ब्याज मुक्त ऋण के लिए मौजूदा आवंटन की कठिन शर्तें केंद्र सरकार के द्वारा हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों के हक में नहीं हैं।

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इसके अलावा संदीप सांख्यान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले बागवान गंभीर वित्तीय बाधाओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने बागवानों के संघर्षों को कम करने के लिए किसी भी आयात शुल्क कम करने के लिए कोई भी उपाय नहीं किया जा रहा हैए जो हिमाचल के बागवानों को जरूरी राहत प्रदान कर सकता थाए लेकिन केंद्र सरकार ने वह भी नहीं किया। ऐसे में साबित होता है है कि केंद्र के सरकार बदले की भावना से काम कर रही है।

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