सोलन नगर निगम पर प्रदूषण बोर्ड ने ठोका दस लाख जुर्माना, भाजपा पार्षद शैलेंद्र गुप्ता का दावा— भ्रष्टाचार का केंद्र बना नगर निगम

सोलन। नगर निगम सोलन में ठोस कचरा प्रबंधन के टेंडर में हुई अनियमितताओं के चलते विकास कार्यों के लिए निर्धारित धनराशि अब भारी जुर्मानों में जा रही है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने कचरे का सही निस्‍तारण न करने पर नगर निगम को दस लाख का भारी भरकम जुर्माना ठोका है। जो सोलन के विकास के लिए निर्धारित धनराशि से चुकाना पड़ेगा। पार्षद और भाजपा प्रवक्‍ता सोलन शैलेंद्र गुप्‍ता ने यह दावा किया है।


उन्‍होंने आरोप लगाया कि नगर निगम सोलन के अस्तित्व में आने के बाद से शहर के विकास कार्य पूरी तरह से रुक गए हैं। वहीं दूसरी ओर सोलन में ठोस कचरा प्रबंधन सवालों को घेरे में हैं। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2021 में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए जो टेंडर ₹1999 प्रति टन के हिसाब से दिया गया था, उस पर भाजपा पार्षदों ने पहले ही आपत्ति जताई थी। उस समय अन्य अर्बन डेवलपमेंट बॉडीज़ यह काम मात्र ₹600 प्रति टन में करवा रही थीं, जबकि मंडी नगर निगम ने जुलाई 2024 में यही काम ₹880 प्रति टन के हिसाब से अवार्ड किया है। सोलन की जनता की जेब में ढाका डालकर जुर्माने की राशि को भरा जा रहा है!

सोलन नगर निगम द्वारा तीन साल पहले ₹1999 प्रति टन में दिए गए इस टेंडर पर भाजपा ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे, और आज यह साबित होता नज़र आ रहा है। क्‍योंकि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की कार्रवाई में दस लाख का जुर्माना इसका जीता जागता उदाहरण है। वहीं, ठोस कचरा प्रबंधन के अंतर्गत लिगेसी वेस्ट को दो वर्षों के भीतर निपटाने का दावा किया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हो सका है।

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इस नाकामी के कारण स्वच्छता अभियान में सोलन नगर निगम को ज़ीरो अंक प्राप्त हुए हैं। नगर निगम सोलन विकास के आयाम स्‍थापित करने के बजाय कांग्रेस समर्थित नगर निगम सोलन को गर्त में धकेल रही है। जो विकास कार्य भाजपा के कार्यकाल में हुए और उदाहरण बनें, उनका भी नाश किया जा रहा है। वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस को ऐसी हरकतों से जनता को जवाब देना और सामना करना मुश्किल हो जाएगा।

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