त्वरित टिप्पणी : क्या मजाक है! केंद्र का निर्देश न मानने का दावा और सीबीएसई के उस पैटर्न पर सहमति जो अभी बना ही नहीं
तेजपाल नेगी
हल्द्वानी। अपनी सरकार भी अच्छा मजाक कर लेती है। एक तरफ तो आज ही सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने मीडिया से बातचीत में 5 प्रतिशत की संक्रमण दर से कम वाले जिलों को पहले खोलने के केंद्र सरकार के निर्देश पर साफ कर दिया कि सरकार के लिए जनता की सेहत सर्वोपरी है और इस मामले में सरकार किसी दवाब को नहीं सहेगी, दूसरी ओर सीबीएसई बोर्ड की इंटर की परीक्षाएं रद्द किए जाने के फैसले पर कदम ताल करते हुए आज शिक्षा मंत्री ने भी उत्तराखंड बोर्ड की इंटर के एग्जाम रद्द करने का निर्णय सुना दिया। यह और भी हैरत भरा है कि शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बच्चों को अंक देने के लिए सीबीएसई के उस ही पैटर्न को अपनाने की भी घोषणा की गई है जो अभी तक तैयार ही नहीं है।
इसे अंधभक्ति न कहा जाए तो क्या कहा जाए कि जिस पैटर्न को सीबीएसई ने अभी घोषित ही नहीं किया है उसे स्वीकार करने के लिए उत्तराखंड सरकार उतावली बैठी है। हमारा शिक्षा विभाग इतना भी कष्ट नहीं करना चाहता कि अपनी ओर से थोड़ा दिमाग लगाकर उत्तराखंड की परिस्थितियों के अनुरूप कोई नया पैटर्न अपनाने का प्रयास किया गया होता।
कोरोना, ब्लैक फंगस और कोविड की तीसरी लहर के खौफ के साए में एक—एक दिन काट रही टीएसआर 2 शायद यह सोचना ही भूल गई कि सभी बच्चों को उत्तीर्ण करने के बाद प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या में अचानक जो इजाफा होगा उससे कैसे निपटा जाएगा या फिर बच्चों को उनकी योग्यता के आधार पर अंक कैसे प्रदान किए जाएं।
उधर व्यापारियों के निरंतर बढ़ते दवाब के बावजूद सरकार ने बाजारों को खोलने का कोई नया फार्मूला तैयार नहीं किया है। आठ जून तक सभी बाजार बंद रहेंगे। इसके बाद क्या स्थिति होगी किसी को पता नहीं। वैसे केंद्र सरकार ने पांच प्रतिशत संक्रमण दर वाले जिले में पहले पाबंदिया हटाने के निर्देशों पर शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कह दिया कि इस मामले में सरकार किसी दवाब में नहीं आएगी। जब उसे लगेगा कि संक्रमण का खतरा कम से कम है तब ही वह बाजारों को खोलने का निर्णय लेगी। यहां वे भूल गए कि केंद्र सरकर ने यह निर्देश दिया था सलाह नहीं।
यह वही सरकार है जिसके प्रतिनिधि प्रधानमंत्री की अपील पर थाली ताली बजाने के लिए गो कारेोना गो करते हुए घरों से बाहर निकल पड़ते हैं। रात को लाइटें बंद करके कोरोना का विरोध किया जाता है। यहीं नहीं स्वयं लाइट बंद करते तो कोई बात नहीं थी सरकार के बिजली विभाग ने इन दस मिनटों के दौरान स्वयं ही शट डाउन ही कर दिया था। अब सीबीएसई के उस पैटर्न का इंतजार हो रहा है जो अभी बन ही रहा है।