बागेश्वर न्यूज : बरसात में बंद होती खड़िया माइन अपने पीछे गड्ढों में छोड़ जा रही है महामारियों का इंतजाम, वृक्षारोपण का नियम भी ताक पर

बागेश्वर। कांडा क्षेत्र की खड़िया के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान है। हर वर्ष क्षेत्र में चल रहीं माइंस से प्रशासन को करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है। लेकिन जिस तरीके से खड़िया खनन माइंस में काम हो रहा है, उससे तो लगता है कि बस प्रशासन का काम राजस्व इकट्ठा करने तक ही सीमित है। आये दिन खनन क्षेत्रों में नियम कायदों की धज्जियां उड़ रही हैं। इससे प्रशासन को कोई मतलब नहीं है।

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बरसात शुरू होते ही खड़िया माइंस बंद हो जाती हैं। नियमों के अनुसार खनन क्षेत्र में बने हुए गड्ढे भी भरने होते हैं। सीढ़ी नुमा खेत बनाने होते हैं और साथ में इस में पौधा रोपण का झामताम भी करना होता है। लेकिन धरातल पर सच्चाई यह है कि यहां की अधिकतर माइंस में गड्डे भरे पूरे तालाब का रूप ले चुके है।

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आबादी वाले कांडा पड़ाव कालिका मंदिर के समीप चल रही खड़िया माइन ने तो सारे नियमों को ताक में ही रखा हुआ है। यहां पर पूरा खनन क्षेत्र तालाब का रूप ले चुका है। जगह जगह गड्ढों में बारिश का पानी भरा हुआ है। घरों से चंद कदमों की दूरी में स्थित ये खड़िया माइन बारिश के उपरांत जगह-जगह जलभराव से जलजनित बीमारियों को दावत दे रही है।

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बीमारियों में डेंगू, मलेरिया, डायरिया, हैजा, चिकनगुनिया जैसी खतरनाक बीमारियों की आशंका बनी हुई है। तालाबों में कई बार बच्चे नहाने के लिये भी उतर रहें हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन थोड़ा सा इन बंद हो रही माइंस पर भी ध्यान दे और साथ ही गड्ढों को भी भरवाये ताकि भविष्य में होने वाली कोई भी गंभीर दुर्घटना से बचा जा सके। वरन इन खुले गड्डो से किसी भी प्रकार का कोई हादसा होता है तो इसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

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