काशीपर न्यूज : आशाओं का आन्दोलन दूसरे दिन भी जारी

काशीपुर । 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आशा वर्कर्स के द्वारा एलडी भट्ट उप जिला चिकित्सालय परिसर में किया जा रहा अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार दूसरे दिन भी जारी रहा। कार्य बहिष्कार और धरना प्रदर्शन के दूसरे दिन प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे महानगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष एडवोकेट संदीप सहगल ने समर्थन दिया।
इस दौरान कांग्रेस महानगर अध्यक्ष संदीप सहगल ने कहा कि आशा वर्कर की मांग को जायज बताते हुए उनको कांग्रेस पार्टी का समर्थन दिया। इस दौरान आशा वर्कर्स ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए मांगों को जल्द पूरा किए जाने की मांग की। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के नेतृत्व में प्रदेशभर की आशा वर्कर्स 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से मांग कर रही हैं।

जिसके चलते काशीपुर के एलडी भट्ट उप जिला अस्पताल में दर्जनों आशा वर्कर्स एकत्र हुई। जहां आशा वर्कर्स ने सरकार द्वारा आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम 21 हजार रुपये वेतन लागू करने, आशा वर्कर्स को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन, कोरोना संक्रमण के दौर में कार्य करने वाली समस्त आशाओं को 10 हजार रुपये कोरोना भत्ता भुगतान दिए जाने, कोरोना काल में कार्य करने वाली आशा वर्कर्स को 50 लाख का बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा लागू करने समेत 12 सूत्रीय मांग पूरी ना होने पर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान आशा वर्कर्स ने मांग पूरी न होने तक अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करने की बात कही। इस दौरान आशा कार्यकर्ती अध्यक्ष स्नेह लता ने कहा कि जब तक प्रदेश सरकार द्वारा आशा वर्कर्स की मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक आशा वर्कर्स कार्य बहिष्कार पर रहेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि इसके बाद भी सरकार ने आशा वर्कर्स की मांगों को अनसुना किया तो आशा वर्कर्स सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे। इस दौरान कांग्रेस महानगर अध्यक्ष संदीप सहगल ने कहा कि जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। संदीप सहगल ने कहा कि जो आज आशा कार्यकर्ताओं की 12 सूत्रीय मांगे हैं हम पूरी तरह से उनका समर्थन करते हैं और निश्चित रूप से आशाओं को मानदेय मिलना चाहिए, आशाओं का बीमा होना चाहिए, आशाओं को परमानेंट करना चाहिए, राज्य सरकार यदि उनकी मांगों को नहीं मानेगें तो हम इनके साथ सड़कों पर उतरेंगे और काशीपुर से लेकर देहरादून की लड़ाई हम आशा बहनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कदम से कदम मिलाकर जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक इस लड़ाई को जारी रखेंगे।

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