ऋषिकेश…#सचेत : मधुमेह के रोगियों पर ज्यादा कहर बरपा रहा कोरोना, जानिये एम्स विशेषज्ञों की राय

                                                                                                                                                                                   ऋषिकेश। कोरोना संक्रमण स्वस्थ लोगों की तुलना में मधुमेह के रोगियों को अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करती है। ऐसे में मधुमेह से ग्रसित रोगी अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सतर्कता बरतें। एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों ने मधुमेह के खतरे के प्रति विशेष सतर्क रहने को कहा है। 

इस संबंध में एम्स के बायो कैमेस्ट्री विभाग की फैकल्टी सदस्य डा. सरमा शाह ने बताया कि डायबिटीज मेलिटस के रोगी इम्युनो कॉम्प्रोमाइज्ड होस्ट होते हैं। इसलिए इनमें गंभीर संक्रमण के बढ़ने का जोखिम गैर-मधुमेह रोगियों की तुलना में मधुमेह के रोगियों से दोगुना अधिक होती है, जिससे ऐसे रोगियों को गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) में भर्ती करने की आवश्यकता बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में एक अच्छा ग्लाइसेमिक नियंत्रण बनाए रखने से जन्मजात प्रतिरक्षण प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कि गंभीर परिणामों को रोकने में मदद मिलेगी।

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ताजा एवं पौष्टिक भोजन लें, जिसमें बहुत सारी सब्जियां हों, जटिल कार्बाेहाइड्रेट जैसे साबुत गेहूं से बनी रोटी, प्रोटीन जैसे सोया / अंडा / पनीर / ताजी मछली और विटामिन- सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे संतरा, नींबू, अमरूद, आंवला आदि शामिल हों।

प्रतिदिन लगभग 3 लीटर पानी पिएं। प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट छत या लॉन पर तेज चलें, सीढ़ियां चढ़ना, घर के काम करना, हल्का वजन उठाना जैसे हल्के शारीरिक व्यायाम अवश्य करें। सेल फोन जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुओं को सेनिटाइज करना, गुनगुने पानी और साबुन से हाथ धोना, फेस मास्क पहनना और कम से कम 10 मिनट / प्रतिदिन योगाभ्यास करके प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ावा देना। दिन में कम से कम 4 बार यानि खाली पेट होने पर, दोपहर के भोजन से पहले, रात के खाने से पहले और सोते समय अपनी रक्त शर्करा की स्वयं जांच करें, इसके अलावा पसीना, ठंड लगना, अकड़न, चिड़चिड़ापन, भ्रम, मतली, उनींदापन, आंखों से धुंधला दिखाई देने पर हाइपोग्लाइकेमिया के किसी भी नैदानिक संदेह की दशा में अपनी केशिका ग्लूकोज की जांच अवश्य करा लें। चिकित्सक द्वारा निर्देशित दवाएं ही लें और यदि रोगी में हाइपोग्लाइकेमिक लक्षण विकसित होते हैं तो उसे टेलीफोन पर चिकित्सक से परामर्श करना नहीं भूलें।

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गर्म पानी और साबुन से पैर धोकर, पैरों को अच्छी तरह सुखाकर और अच्छी फिटिंग वाले जूते पहनकर पैरों की देखभाल करें। देखभाल करने वाले के साथ टेलीफोन पर मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर चर्चा करें, परिजनों और प्रियजनों के साथ अच्छा समय बिताएं।

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