नालागढ़… सिविल अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में, महिला विशेषज्ञ चिकित्सक पर लगे गर्भवतती महिला की डिलीवरी के दौरान लापरवाही के आरोप, बच्चे की गई जान

नालागढ़। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ का सिविल अस्पताल एक बार फिर सुर्खियां में है। नालागढ़ का एकमात्र सिविल अस्पताल के चिकित्सकों पर अब एक गर्भवती महिला के नवजात बच्चे की मौत का आरोप लगा है।


आपको बता दें कि रख गांव की एक महिला द्वारा नालागढ़ के सिविल अस्पताल की महिला विशेषज्ञ चिकित्सक के पास इलाज करवाया जा रहा था। महिला अपने परिजनों के साथ दिनांक 12 अगस्त को महिला डॉक्टर के पास चेकअप के आई थी और डॉक्टर ने महिला को चेक करने के बाद उसे अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दी थी और अगले ही दिन यानी 13 अगस्त को पीड़ित महिला के परिवार वालों द्वारा गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड करवाया गया और उसकी रिपोर्ट संबंधित महिला डॉक्टर को चेक करवाई गई तो पीड़ित के परिजनों के मुताबिक डॉक्टर ने रिपोर्ट को चेक करने के बाद महिला को डिलीवरी के लिए 26 अगस्त की डेट दे दी और महिला को 25 अगस्त को अस्पताल में दाखिल होने के लिए लिख दिया था।


आरोप के मुताबिक लेकिन 14 फरवरी की शाम हुई तो महिला को अचानक पेट में बहुत ज्यादा दर्द होना शुरू हो गया। परिजन उसे इलाज के लिए नालागढ़ के सिविल अस्पताल में तैनात इमरजैंसी वार्ड में लेकर आ गए। वहां पर इमरजैंसी में तैनात डॉक्टर उनकी टीम द्वारा महिला को चेक किया गया। उनकी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट और अन्य रिपोर्ट चेक करने के बाद कहा गया कि आपके बच्चे की तो मौत हो सकती है। महिला को यह दिलासा देकर चंडीगढ़ में 32 सैक्टर स्थित चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया गया कि बच्चे की सांसे चल रही हैं।

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लेकिन जब पीड़ित महिला के परिजनों ने उसे नालागढ़ के ही एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया तो वहां पर तैनात डॉक्टर ने उनकी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट व अन्य महिला की रिपोर्टें चेक करने के बाद कहा कि आपका बच्चा तो 13 तारीख के अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट के मुताबिक पेट में ही मर चुका है। यह बात सुनकर पूरा परिवार हक्का-बक्का रह गया। उन्हें शंका हो गई कि मृत बच्चे को पेट में रखे उसकी मां को भी जान का खतरा न हो जाए। इसलिए डॉक्टर से मदद की गुहार लगाई तो डॉक्टर ने तुरंत महिला को ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर महिला का ऑपरेशन किया और ऑपरेशन के माध्यम से महिला के पेट से मृत बच्चे को बाहर निकाला।

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अब पीड़ित महिला के परिजन व उसके रिश्तेदार सिविल अस्पताल नालागढ़ की महिला विशेषज्ञ डॉक्टर मीनाक्षी पर गर्भवती महिला के इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं पीड़ित व परिवार वाले महिला डॉक्टर के खिलाफ जहां सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग उठा रहें हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत स्वास्थ्य मंत्री व पुलिस के उच्च अधिकारियों से आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई गई है।


इस बारे में जब हमने सिविल अस्पताल नालागढ़ की महिला विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी से बात की तो उनका कहना है कि गर्भवती महिला का उनके पास इलाज चल रहा था और 12 अगस्त को वह चेक करवाने के लिए आए थे तो उस समय जब उन्होंने बच्चे को चेक किया तो बच्चे की हार्ट बीट व सब ठीक था तो उन्होंने महिला की डिलीवरी को लेकर ऑपरेशन के लिए 26 तारीख की तारीख दी थी और 25 अगस्त को महिला को अस्पताल में दाखिल होने के लिए कहा था, साथ ही उन्हें एक नया अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए भी कहा गया था लेकिन गर्भवती महिला द्वारा उन्हें 13 अगस्त को किसी भी प्रकार की अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट चेक नहीं करवाई गई।

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आरोपी डॉ. मीनाक्षी का कहना है कि उसके परिजन उनके ऊपर लापरवाही के निराधार आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिला की 13 तारीख को हुए अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट उन्हें चेक ही नहीं करवाई गई अन्यथा वह महिला को डिलीवरी के लिए दाखिल होने के लिए 26 तारीख की तारीख कभी नहीं देती।
इस बारे नालागढ़ सिविल अस्पताल की बीएमओ मुकता रस्तोगी से बातचीत की तो उनका कहना है कि इस मामले को लेकर गर्भवती महिला के परिजन उनके पास आए थे।

उनका आरोप था कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण बच्चे की मौत हुई है लेकिन उन्होंने जब इस पूरे मामले में महिला डॉक्टर मीनाक्षी व इमरजेंसी में ड्यूटी के दौरान तैनात डॉ योगेश से बात की बातचीत की तो 12 तारीख को चेक करवाने के बाद 13 तारीख को महिला के अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट संबंधित डॉक्टर को नहीं दिखाई गई। मीनाक्षी ने भी किसी भी प्रकार की 13 तारीख को अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट उनके पास आकर दिखाने से मना किया है।

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