हल्द्वानी/बागेश्वर…वक्त कम—काम ज्यादा : रूठों को मनाने के लिए भाजपा-कांग्रेस का आपरेशन समझौता पहले ही दिन फ्लॉप,शेर सिंह से मिल न सके—संध्या मानी नहीं
हल्द्वानी/बागेश्वर। नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद आपको लग रहा होगा कि अब राजनैतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं के पास कोई काम नहीं रह गया है। प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों की जांच तक वे आराम फरामाएगें। लेकिन ऐसा नहीं है। नामाकंन पत्र जमा होने के बाद वरिष्ठ नेताओं के लिए अब दो दिन तक सबसे महत्वपूर्ण काम आ निकला है। वह है अपनी पार्टी के नाराज को मनाना और यदि उन्होंने पर्चा दाखिल कर दिया है तो उसे वापस लेने के लिए राजी करना। इसके लिए दोनों ही दलों ने आज से ही आपरेशन ‘समझौता’ शुरू कर दिया है।
भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दल इस समय भीतरघात की चिंता में घुले जा रहे हैं। ऐसा न होता तो आज दोपहर दो बजे अचानक सीएम पुष्कर सिंह धामी का कपकोट जाने का कार्यक्रम न बन जाता। यह अलग बात है कि खराब मौसम के कारण उनका हेलीकाप्टर उड़ान नहीं भर सका और धामी कपकोट नहीं पहुंच सके।
उधर कांग्रेस खेमे के प्रदेश के सबसे बड़े नेता सबसे पहले अपनी ही विधानसभा सीट के कील कांटे ठोककर आगे बढ़ने की योजना पर काम कर रहे है। लालकुआं सीट पर कांग्रेस से बगावत करके नामांकन पत्र दाखिल करने वाली संध्या डालाकोटी को मनाने में रावत के सिपाहसालार फेल हुए तो रावत ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। वे आज रात ही इस काम को निपटाएंगें। उनके सामने प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जहां बगावत हो चुकी है। रावत इन सभी नाराज नेताओं से बातचीत करेंगे।
आज अचानक बागेश्वर के कपकोट से खबर आई कि सीएम पुष्कर धामी स्वयं टिकट वितरण से नाराज पूर्व विधायक शेर सिंह गड़िया को मनाने के लिए पहुंचने वाले है। उनको कपकोट के केदारेश्वर मैदान में डेढ़ बजे उतरना था इसके बाद नजदीक के एक होटल में शेर सिंह गड़िया व उनके बीच वार्ता होनी थी तथा इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के समक्ष गड़िया व धामी की संयुक्त मुलाकात तय थी। शुक्रवार को जहां जनपद में मौसम में चटख धूप थी वहीं खटीमा में घने कोहरे के कारण धामी का हेलीकाप्टर उड़ान ही नहीं भर पाया। मजबूरन धामी ने फोन पर कपकोट में सुरेश गड़िया की एक सभा को संबोधित करके कुछ डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया।
गड़िया ने भी पूर्व घोषित पत्रकारवार्ता को एन वक्त पर निरस्त कर दिया। मुख्यमंत्री के सामने घुटने टेकने के संदेश दे दिया लेकिन जब सीएम नहीं आए तो गड़िया निराश हो गए। बकौल गड़िया ‘ मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। मैं पार्टी में उम्मीदवार था परंतु पार्टी ने सुरेश गड़िया को उम्मीदवार बनाया है। यह पार्टी का निर्णय है। मैं अपने गांव को जा रहा हूं।’और गड़िया निकल गए। यानि अगर गड़िया को मनाया नहीं गया तब भी वे भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ दुष्प्रचार नहीं करेंगे।
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इन्ही परिस्थितियों का लाभ उठाते हुए भाजपा के जिला अध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट कहते हैं। भाजपा अनुशासित पार्टी है। शेर सिंह गड़िया पूर्व जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक के साथ अन्य पदों पर रह चुके हैं वे पार्टी हित में ही कार्य करेंगे।
इससे पहले सुरेश गड़िया को टिकट मिलने के बाद शेर सिंह गड़िया ने शुक्रवार को चौथी बार प्रेस कांफ्रेंस निरस्त की। उन्होंने इससे पूर्व भी तीन बार प्रेस आयोजित की थी हर बार समझा जा रहा था कि शेर सिंह कोई चौकानें वाली घोषणा करेंगी परंतु नामांकन के अंतिम दिन कुछ समय पूर्व की गई प्रेस कांफ्रेंस निरस्त करने से जनता मान चुकी है कि शेर सिंह गड़िया भाजपा के पक्ष में आ चुके हैं।
ऐसा नहीं है कि भाजपा के लिए सिर्फ कपकोट सीट पर ही इस तरह की चुनौती मिल रही है। प्रदेश में दर्जन भर से ज्यादा सीटों पर भाजपा के कई नेता घोषित प्रत्याशियों की इस बारात में फूफा बने बैठे हैं।
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उधर कांग्रेस में भी कमोबेश यही हालात है। कई सीटों पर कांग्रेस के भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने पर्चे दाखिल कर रखे है। इन्हें दो दिनों के भीतर इन सब को मनाकर इनसे नाम वापस लेने के लिए राजी करने का लक्ष्य रखा गया है।