सोलन न्यूज: ई रिक्शा खरीदा, परमिट लिया फिर भी रह गए बेरोजगार

सोलन। कंडाघाट सब डिविजन के नाम पर परमिट जारी होने के बाद भी दो ई रिक्शा चालकों के समाने बेरोजगारी की की दीवार खड़ी है। उनका कहना है कि पिछले तीन महीनों से वे अपने ई रिक्शा की किश्तें जेब से भरने के मजबूर हैं, जबकि उनके वाहन घर पर ही खड़े हैं।

ई रिक्शा खरीद कर अपने रोजगार के सपने देखने वाले प्रकाश चंद ने बताया कि उन्हें कंडाघाट क्षेत्र में ई रिक्शा चलाने का परमिट दिया गया था। लेकिन जब वे अपना ई रिक्शा लेकर कंडाघाट गए ते कंडाघाट आटो यूनियन के पदाधिकारियों व सदस्यों ने उन्हें यह कहते हुए वहां ई रिक्शा चलाने से रोक दिया कि वे कंडाघाट के रहने वाले नहीं हैं। जब उन्होंने सोलन में ई रिक्शा चलाने का प्रयास किया तो यहां की आटो यूनियन ने उन्हें यहां का परमिट न होने की बात कहते हुए यहां काम नहीं करने दिया। अब वे परमिट व वाहन दोनों होने के बावजूद बेराजगारी से जूझ रहे हैं।

कुछ ऐसी ही राम कहानी सोलन के अनिल शर्मा की है। उन्होंने भी प्रकाश चंद की तरह ही वाहन खरीदा और उन्हें कंडाघाट के लिए परमिट मिल भी गया। लेकिन समस्या तब आई जब वे अपना ई रिक्शा लेकर कंडाघाट पहुंचे। उन्हें भी वहां की यूनियन के सदस्यों ने स्थानीय न होने का हवाला देते हुए क्षेत्र में ई रिक्शा का संचालन नहीं करने दिया। दोनों ने अब प्रशासन से मांग की है कि उन्हें अपने ई रिक्शा को चलाने के लिए सुरक्ष दी जाए या फिर उनके ई रिक्शा का मूल्य उन्हें दिया जाए ताकि वे फाइनैंस कंपनी को पैसा चुका सकें।

इस मामले में एआरटीओ सुरेंद्र ठाकुर का कहना है कि इस तरह की कोई शिकायत उनके पास नहीं आई है। उन्होंने कहा कि जिस इलाके में वाहन चलाने का परमिट जारी किया गया है वाहन चालकों को उसी इलाके में वाहन चलाना चाहिए। यदि कोई भी व्यक्ति उन्हें ऐसा करने से रोकता है तो उसके खिलाफ पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि कंडाघाट सब डिविजन के लिए अभी भी परमिट दिए जाने का काम जारी है।

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