नई दिल्ली… #ब्रेकिंग : किसानों के आगे झुकी सरकार, पीएम ने की तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह गुरु पर्व के दिन देश के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी। तीनों कृषि कानूनों को लेकर अभी तक केंद्र एवं भाजपा का जो रवैया देखा गया, उससे किसानों की उम्मीद को झटका अवश्य लगा था। विपक्ष भी तकरीबन यही मानकर चल रहा था कि केंद्र सरकार, कृषि कानूनों पर पीछे नहीं हटेगी। 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने जा रहा है। इस मौके पर किसान संगठनों ने कई कार्यक्रमों का ऐलान किया था।
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक साहा ने बताया कि किसान आंदोलन के फैलाव को लेकर केंद्र सरकार सदैव दोराहे पर रही है। केंद्र की यह थ्योरी कि ये तो ‘ढाई प्रदेश’ के किसानों का आंदोलन है, इस पर ध्यान न दिया जाए। इसके बाद अब भाजपा का ये वहम भी खत्म हो गया है। अविक साहा कहते हैं, सरकार ने इस आंदोलन को खत्म कराने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। पीएम की ये बात सही नहीं है कि सरकार ने किसानों को समझाने का प्रयास किया था। सरकार ने कभी तो मन से बात ही नहीं की।
उसका तो केवल एक ही प्रयास रहा है कि किसी भी तरह किसानों का आंदोलन खत्म हो जाए, टूट जाए या बदनाम हो जाए। आंदोलन स्थल पर कुछ ऐसा हो जाए कि जिसकी आड़ में केंद्र सरकार, किसान आंदोलन को खत्म कर दे।
सरकार को किसानों की दिक्कतों से कोई मतलब नहीं था। वह रोजाना केवल इतना देख रही है कि किसान आंदोलन मजबूत हो रहा है या कमजोर पड़ने लगा है। आंदोलन स्थल पर किसानों की संख्या बढ़ी या घटी रही है। किसान आंदोलन अभी तक शांति के साथ चलता आ रहा था। लंबे आंदोलन में धैर्य को तोड़ने और आंदोलनकर्ताओं को उकसाने के हर संभव प्रयास किए गए। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों ने सरकार के इस भ्रम को तोड़ दिया। कहीं कोई अशांति वाली बात नहीं हुई।