अल्मोड़ा—– मानव एवं बाल तस्करी विषय पर स्पर्धा संस्था ने एसएसबी के सेक्टर मुख्यालय में किया व्याख्यान कार्यक्रम
अल्मोड़ा- स्पर्धा संस्था के अंतर्गत संचालित चाइल्ड हेल्पलाइन सब सेंटर सल्ट अल्मोड़ा द्वारा सशस्त्र सीमा बल एसएसबी के सेक्टर मुख्यालय अल्मोड़ा में मानव एवं बाल तस्करी विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया । कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत नेपाल एवं भारत भूटान सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों एवं अधिकारियों को सीमा के आरपार बड़े पैमाने पर होने वाली मानव तस्करी एवं बाल तस्करी के प्रति जागरूक करना तथा उन्हें इस अमानवीय कृत्य की रोकथाम के लिए प्रेरित करना था ।
कार्यक्रम में सेक्टर हेड क्वार्टर अल्मोड़ा के उप महानिदेशक डीएन बॉम्बे , सेकेंड इन कमांड मनोज सनवाल ,डिप्टी कमांडेंट दिवाकर भट्ट , असिस्टेंट कमांडेंट अभ्युदय निंबा सलूखे ने वर्चुअल तथा निरीक्षक अजय सिंह पवार , पांचवी बटालियन चंपावत के डिप्टी कमांडेंट नितिन कुमार सिंह और 11 वीं बटालियन डीडीहाट के डिप्टी कमांडेंट संजीव कुमार सहित कुल 40 अधिकारियों व जवानों ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्पर्धा संस्था के मुख्य कार्यकारी तथा चाइल्ड हेल्पलाइन सब सेंटर सल्ट अल्मोड़ा के निदेशक दीपचंद्र बिष्ट एवं स्पर्धा संस्था के कैलाश रौतेला थे । उन्होंने अपने-अपने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से मानव तस्करी के एवं बाल तस्करी के विभिन्न आयामों को स्पष्ट किया मानव एवं बाल तस्करी को स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि यह एक अमानवीय कृत्य है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मानव तस्करी को परिभाषित करते हुए उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति को किसी खास प्रयोजन हेतु बल प्रयोग कर या धोखा देकर या बंधक बनाकर रखना मानव तस्करी है। इसमें पीड़ित व्यक्ति से देह व्यापार , घरेलू काम , गुलामी इत्यादि कार्य पीड़ित व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध कराए जाते हैं । मानव तस्करी के कारणों को स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि गरीबी व अशिक्षा मुख्य रूप से इसके जिम्मेदार है, उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल सीमा के आरपार भी बड़े पैमाने पर मानव तस्करी की घटनाएं प्रकाश में आती रहती हैं एसएसबी द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार 2013 के बाद सीमा पार मानव एवं बाल तस्करी में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि नेपाल मानव तस्करी का मुख्य स्रोत बन गया है, जहां से लोगों को खुली सीमा को पार कर भारत पहुंचाया जाता है भारत डिसटीनेशन होने के अलावा ट्रांजिट रूट के रूप में भी कार्य करता है।
उन्होंने बताया कि यहां से इन्हें खाड़ी देशों व पश्चिम एशिया के देशों में भी भेजा जाता है । मानव तस्करी का शिकार मुख्य रूप से महिलाएं व बच्चे होते हैं उन्होंने नेपाल के एक गांव का भी उल्लेख किया और बताया कि यह जिला आज किडनी वैली के नाम से जाना जाने लगा है क्योंकि यहां पर प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति मानव तस्करी का शिकार होकर अपनी किडनी गंवा चुका है विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार , भारत व नेपाल ,भारत भूटान और भारत बांग्लादेश का सीमावर्ती क्षेत्र आज मानव तस्करी का हॉटस्पॉट बन चुका है पर्याप्त कानून होने के बावजूद आज दुर्भाग्यवश भारत के अंदर बड़ी सीमा पर बच्चों की तस्करी विभिन्न प्रयोजनों जैसे बाल श्रम , यौन शोषण ,मानव अंगों की खरीद-फरोख्त तथा भिक्षावृत्ति के लिए होती है।
भारतीय संविधान के आर्टिकल 23 (1) के अनुसार भारत में मानव तस्करी को अवैध घोषित किया गया है उन्होंने इससे संबंधित कानूनों का भी उल्लेख किया इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रतिभागियों को मानव तस्करी के शिकार लोगों को पहचानने हेतु महत्वपूर्ण टिप्स दिए उन्होंने मानव तस्करी में लिप्त व्यक्ति स्वाभाविक रूप से कुछ संकेत प्रकट करते हैं जिन्हें गहराई से अवलोकन कर उनकी बॉडी लैंग्वेज तथा हाव भाव से स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है , उन्होंने मानव एवं बाल तस्करी के विरुद्ध कार्य कर रही चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 /112 जिसमें बाल कल्याण समिति , एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट आदि की भूमिका को भी स्पष्ट किया ।
कार्यक्रम में चाइल्ड हेल्पलाइन की अनीता लोहनी , नन्दन सिंह बिष्ट,एसएसबी के निरीक्षक अजय सिंह पवार , राजेश कुमार, गणेश सिंह, उपनिरीक्षक पुरुषोत्तम राम , बलवंत सिंह , तरुण कुमार , अजब सिंह चौहान , सहायक उपनिरीक्षक नवीनचंद्र उप्रेती , तरुण कुमार, प्रीतम सिंह रावत, धीरेंद्र सिंह पवार, गोपाल दत्त ,कृष्ण कुमार, सनी शर्मा ,धीरेंद्र कुमार ,पुष्कर सिंह बिष्ट, विकास दलाल ,उत्तम कुमार रॉय ,विवेक, अमित कुमार, हरि सिंह आदि उपस्थित थे ।