सत्यमेव जयते विशेष : देश का पहला विक्टोरिया क्रास विजेता, जिसने ब्रिटेन के किंग से मांगी थी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन, आज पुण्य तिथि पर गर्व से करें उनका स्मरण

तेजपाल नेगी
देश का पहला विक्टोरिया क्रास वह भी रणभूमि में, सम्मान देने के लिए युद्ध के मैदान में स्वयं किंग जॉर्ज और सम्मान लेने वाला महानायक उत्तराखंड का वीर सपूत। कौन उत्तराखंडी होगा जो ऐसे गौरवशाली क्षण मात्र की कल्पना अपने जेहन में हमेशा हमेशा के लिए संजो के नहीं रखना चाहेगा। जी हां हम बात कर रहे हैं। भारत के पहले विक्टोरिया क्रास विजेता देश के महान योद्धा दरबान सिंह नेगी की। यह तो थी उनका युद्ध कौशल का सम्मान अब वह बात कि जो आप को अंदर तक झकझोर देगी। वह यह कि सम्मान देने के समारोह के समय जब उनसे किंग जार्ज की ओर से पूछा गया कि वे वे किंग से कुछ मांगना चाहें तो मांग ले… इस पर इस महान शख्सियत ने पता है क्या मांगा…ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल मार्ग… वही रेल मार्ग जिसका सर्वे 1924 में अंग्रेजों ने अपने अधिकारियों से करवा दिया था और अब हमारी सरकार ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद ऐलान किया है कि वर्ष 2024 तक इस रेल मार्ग का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। यानी पूरे 100 साल बाद। आज उत्तराखंड के उस महान सपूत दरबवान सिंह नेगी की पुण्य तिथि है।

सत्यमेव जयते विशेष : क्या आप जानते हैं ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती की रचना किसने की और उनका आज के दिन से क्या संबंध है… अवश्य पढ़ें यह ज्ञानवर्धक जानकारी


प्रथम विश्वयुद्ध में दुनियाभर की फौजें शामिल थीं, लेकिन इनमें भारतीय सैनिकों के साहस और वीरता ने पूरी दुनिया में एक अलग छाप छोड़ी। अगस्त 1914 में भारत से 1/39 गढ़वाल और 2/49 गढ़वाल राइफल्स की दो बटालियन को प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लेने भेजा गया। अक्टूबर 1914 में दोनो बटालियन फ्रांस पहुंची। वहां भीषण ठंड में दोनों बटालियन को जर्मनी के कब्जे वाले फ्रांस के हिस्से को खाली कराने का लक्ष्य दिया गया। इस इलाके में जर्मन सेनाओं के कब्जे के चलते ग्रेट ब्रिटेन के नेतृत्व वाली दो सैन्य टुकड़ियां आपस में नहीं मिल पा रही थीं। नायक दरवान सिंह नेगी वाली 1/39 गढ़वाल राइफल्स ने 23 और 24 नवंबर 1914 की मध्यरात्रि हमला कर जर्मनी से सुबह होने तक पूरा इलाका मुक्त करा लिया। उनकी सैनय टुकड़ी ने प्रथम विश्व युद्ध में फ्रांस के फेस्टूवर्ट शहर में दुश्मनों पर धावा बोला। दोनों तरफ से भयंकर गोली बारी हुई। दरबान सिंह की टुकड़ी के कई साथी घायल हुए और कई शहीद हो गये। जब नेगी ने खुद कमान अपने हाथ में लेते हुए दुश्मनों पर धावा बोल दिया। इस संग्राम में इनके सर में दो जगह घाव हुए और कन्धे पर भी चोट आई, परन्तु घावों की परवाह न करते हुए अदम्य साहस का परिचय देते हुए आमने सामने की नजदीकी लड़ाई में गोलियों और बमों की परवाह ना करते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए।

ब्रेकिंग उत्तराखंड : अब अल्मोड़ा और श्रीनगर में भी होंगी एनडीए की परीक्षा


इस युद्ध में दरवान सिंह नेगी के अदम्य साहस से प्रभावित होकर किंग जार्ज पंचम ने सात दिसंबर 1914 को जारी हुए गजट से दो दिन पहले पांच दिसंबर 1914 को ही युद्ध के मैदान में पहुंचकर नायक दरवान सिंह नेगी को विक्टोरिया क्रॉस प्रदान किया था। नायक दरवान सिंह नेगी की वीरता के चलते गढ़वाल राइफल्स को बैटल आफ फेस्टूवर्ट इन फ्रांस का खिताब दिया गया। इसकी याद में उत्तराखंड के लैंसडाउन में स्थापित मुख्यालय में एक संग्रहालय बनाया गया है। इसके बाद नायक दरवान सिंह 1915 में सूबेदार बनाए गए। साथ ही उनके कमीशंड होने का प्रमाणपत्र भी जारी किया गया। 1924 में उन्होंने समय से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।
विक्टोरिया क्रॉस ग्रहण करने के समय इनसे अपने लिए कुछ मांगने की मांग रखी गई। तब उन्होंने बड़ी की शालीनता से किंग के सामने ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन बनाने की मांग रख दी। जिसको मानते हुए ब्रिटिश सरकार ने 1924 में ऋषिकेश—कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे कार्य पूरा करा लिया।
अब जब सरकार ने भी दो दिन पहले दावा किया है कि इस रेज मार्ग का निर्माण कार्य 2024 में पूरा हो जाएगा। ऐसे में इस रेलवे लाईन पर कहीं उनकी वीरगाथा का परिचय देता बोर्ड भी देखने को मिलेगा यह उम्मीद की जानी चाहिए।

यह भी पढ़ें 👉  ब्रेकिंग उत्तराखंड …सड़क हादसे में इकलौती बेटी की मौत, माता- पिता घायल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *