उत्तराखंड…EXCLUSIVE: धामी कैबिनेट के दो मंत्रियों की कुर्सी पर संकट, ऊपर से नरेंद्र सिंह नेगी के जनगीत की उलाहना

तेजपाल नेगी
देहरादून।
उत्तराखंड में राजनैतिक उथल पुथल की दस्तक सुनाई पड़ रही है। सरकार बने छह महीने होने को हैं और अब सरकार की पहली छमाही का परफारमेंस रिपोर्ट कार्ड आने वाला है। ऐसे में आशा के अनुरूप परफारमेंस न दे पाने वाले मंत्रियों के आगे प्रश्न चिह्न तो लगेगा ही। भर्ती घोटाले की आंच में कुछ मंत्रियों पर पड़ सकती है। इसमें विधानसभा में बैकडोर भर्ती का साया सबसे बड़ा है।


दरअसल उत्तराखंड में खुले यूकेएसएससी पेपर लीक,वन दरोगा भर्ती और विधानसभा में बैक डोर एंट्री ऐसे कुछ मामले हैं जिनपर भाजपा आलाकमान भी पैनी नजर बनाए हुए हैं। इधर मुख्यमंत्री जीरो टालरेंस का दावा करते हुए हर घोटाले की परतें उघाड़ने के लिए एसआईटी बना रहे हैं तो उधर उनके ही नजदीकी मंत्री इन घोटालों में सलिप्त पाए जा रहे हैं। क्या घोटाले में नाम आने के बावजूद मंत्रियों को उनके पदों पर बनाए रखना मुख्यमंत्री की जीरो टालरेंस पालिसी की चादर में छेद हो जाने जैसा नहीं होगा।

यह सवाल राजनैतिक विपक्ष और विश्लेषक भी उठाने लगे हैं। ऐसे में कभी नारायण दत्त तिवारी की कुर्सी को अपने एक गीत ’नौछमी नारायण’ से हिलाकर रख देने वाले गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का नया जनगीत ’लोकतंत्र मा’भी लोगों में खूब लोकप्रिय हो रहा है। इसी जनगीत का एक अंतरा है ’जनता सड्क्यों भ्रष्टाचार से लड़नी और तुम, भ्रष्टाचार में साझा ह्वै ग्यां लोकतंत्र में’ यह पंक्तियां धामी सरकार के लिए उलाहना जैसी हो गई हैं।

ऐसे में जब लोग इस जनगीत की इन पंक्तियों को गुनगुना रहे हैं तब भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं को मंत्री पद पर बनाए रखना धामी के लिए भी कोई कम परेशानी वाली बात नहीं हैं। इसे जनभावना की नजरअंदाजी ही माना जाएगा।

chandan ramdass


अब बात करें की धामी कैबिनेट की दो सरकार के ऐसे दो कौन से मंत्री हैं जिनकी कुर्सी के ऊपर खतरा मंडरा रहा है।इनमें सबसे पहले हैं बागेश्वर के विधायक चंदनराम दास। इनका स्वास्थ्य पिछले एक अरसे से खराब चल रहा है और इसी वजह से इन्हें धामी कैबिनेट का सबसे कमजोर मंत्री कहा जा सकता है। परफारमेंस में सबसे निचली पायदान पर खड़े चंदनराम दास की जगह किसको मिलेगी यह चर्चा राजधानी के गलियारों में पिछले कुछ समय से आम हो चुकी हैं।

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premchand agarwal

दूसरे मंत्री है ऋषिकेश के विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल। आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए इन्होंने विधानसभा में बैकडोर से 72 कर्मचारियों की नियुक्ति करवाई। भाजपा विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्ती के मामले में इनका नाम आने से असहज है। माना जा रहा है कि प्रेमचंद्र अग्रवाल की वजह से सीएम धामी की जीरो टालरेंस पालिसी खासी प्रभावित हो रही है। पार्टी हाईकमान भी इनसे जवाब तलब कर चुकी है। चुनाव के दौरान भी इनपर सरकारी योजनाओं की आई धनराशि निकलवा कर अपने क्षेत्र में लोगों को कैश बांटने का आरोप भी लगा था।

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ऐसे में फिलहाल उत्तराखंड के राजनैतिक गलियारों में दो मंत्री की गंुजाइश को देखते हुए भाजपा के दूसरे विधायक अपनी गोटियां सेट करने में लग गए हैं। ताकि रिक्त पद पर उनकी ताजपोशी हो सके।

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