सिलेंडर ढोने वाले गगन ने पास की आईआईटी की परीक्षा, सड़क पर पड़े मिले मोबाइल से की पढ़ाई

अलीगढ़। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में गैस सिलेंडरों की ढुलाई व दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गगन ने जेईई एडवांस परीक्षा में सफलता प्राप्त कर नाम रोशन कर दिया है। गगन के पिता राकेश अतरौली के नगाइच पाड़ा में रहने वाले हैं। गगन ने गरीबी की तमाम चुनौतियों से लड़ते हुए यह कामयाबी हासिल की। गगन अब बनारस विश्वविद्यालय में अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेंगे।

पिछले वर्ष नहीं मिल पाया था आईआईटी में दाखिला
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। कवि दुष्यंत की इन पंक्तियों को अतरौली के गगन ने सार्थक कर दिखाया है। गैस सिलेंडरों की ढुलाई व दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गगन ने जेईई एडवांस परीक्षा में सफलता प्राप्त कर परिवार ही नहीं जनपद का नाम भी रोशन कर दिया है। गगन ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल बीटेक की इलेक्ट्रिकल एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग ब्रांच में दाखिला लिया है।

पिछले साल भी दी परीक्षा
गगन के पिता राकेश अतरौली के नगाइच पाड़ा में रहने वाले हैं। गगन ने गरीबी की तमाम चुनौतियों से लड़ते हुए यह कामयाबी हासिल की। परिवार में माता-पिता के अलावा दो बड़ी बहन व एक भाई है। पिता अतरौली में ही एक गैस एजेंसी के गोदाम में कीपर हैं। गगन ने 11वीं कक्षा से दिहाड़ी मजदूरी की। उनका सपना बचपन से ही इंजीनियर बनने का था। वह आइआइटी प्रवेश लेना चाहते थे। गगन पिछले वर्ष भी परीक्षा में बैठे। पहले प्रयास में उन्हें 8030वीं रैंक (130 मार्क्स) मिली, जिससे आईआईटी में प्रवेश नहीं मिल पाया। आर्थिक तंगी के मुश्किल हालात में नए सिरे से तैयारी की। इस बार जेईई एडवांस्ड 2024 में उन्हें 170 मार्क्स व ऑल इंडिया 5286 वीं रैंक (कैटेगरी रैंक 1027) मिली। उनका सपना पूरा हुआ। गगन अब बनारस विश्वविद्यालय में अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेंगे।

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350 रुपये रोजाना मिलती थी दिहाड़ी मजदूरी
गगन जब कक्षा 11वीं में थे, तो वे गैस सिलेंडर उठाकर दिहाड़ी मजदूर के रूप में भी काम करते थे। भाई के साथ वह हर दिन 250 सिलेंडर उठाते थे। रोजाना 350 रुपये ही कमा पाते थे। ओवरटाइम तक किया। काम के बाद ऑनलाइन शिक्षा भी जारी रखी। गगन के पास अच्छा मोबाइल भी नहीं था। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल फोन का सहारा लिया। यह मोबाइल फोन भी उनके पिता को सड़क पर मिला था, जिसे सही कराया। इससे ऑनलाइन पढ़ाई की। यह मोबाइल फोन पिन से दबाकर वह चलता था। कामयाबी से अब पूरा परिवार खुश है।

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10 वीं करने के बाद ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े
गगन ने बताया कि अतरौली के सिटी कान्वेंट स्कूल से 98.4 प्रतिशत अंक के साथ हाईस्कूल की परीक्षा पास की। इसके बाद से ही वह फिजिक्स वाला ऑनलाइन कोचिंग से जुड़ गए। पढ़ाई समझ में आती गई तो एएमयू की 11वीं की प्रवेश परीक्षा की तैयारी भी होती रही। इसका लाभ भी मिला। एमयू में 11वीं की प्रवेश परीक्षा के लिए टेस्ट दिया, जिसमें वह सफल हुए। कोराेना के चलते उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई की। लेकिन उनका पूरा फोकस ऑनलाइन बैच पर ही था। 12वीं की परीक्षा उन्होंने सैयद हामिद सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 95.8 प्रतिशत अंक के साथ पास की। इसके बाद जेईई की परीक्षा की तैयारी में जुट गए।

लक्ष्य तय करो, सफलता जरूर मिलेगी: गगन
गगन को 26 जुलाई को बीएचयू पहुंचना है। शनिवार की रात 12:30 बजे वह बिहार में थे। दैनिक जागरण से मोबाइल फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि सफलता पाने के लिए संघर्ष करना इंसान का कर्म है। इससे पीछे हटे तो कुछ भी मिलने वाला नहीं है। लक्ष्य तय करके आगे बढ़ो तो सफलता जरूर मिलेगी। कहा, मेरे जीवन में बहुत संघर्ष आए। भाई के साथ गैस सिलेंडर भी ढोए। खुद को निराश नहीं होने दिया। मेरे परिवार ने बहुत मदद की। 11वीं में दीदी के मोबाइल से पढ़ता था। बाद में पिता को एक मोबाइल सड़क पर मिल गया तो उसे इस्तेमाल किया।

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