ब्रेकिेंग रामनगर : जिलाधिकारी ने ‘निरस्त’ किया चार साल पुराना वह ‘आदेश’ जो जारी हुआ ही नहीं, अब होगी 26 गांवों में जमीन के दाखिल खारिज की प्रक्रिया

कार्तिक बिष्ट
रामनगर।
जिलाधिकारी ने रामनगर में उस आदेश को समाप्त कर दिया है जो कभी दिया ही नहीं गया। लगा न झटका लेकिन यह खबर है सही। दरअसल रामनगर तहसील के 26 गांवों में पिछले चार सालों से दाखिल खारिज की प्रक्रिया यह कहते हुए रोक दी गई थी इसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय से आदेश आए हैं। लोग परेशान होते रहे…एक दो नहीं पूरे चार साल…। ग्रामीण शिकायत लेकर विधायक के पास पहुंचे जहां से आश्वासन के सिवाए कुछ नहीं मिला, जिलाधिकारी के पास पहुंचे तो वहां भी शिकायत लेकर दिखवाने के आश्वासन ही मिले, लेकिन आदेश थे कि बहाल ही नहीं हो रहे थे। इस बीच कुछ ग्रामीण हाईकोर्ट भी पहुंचे जहां से इन 26 गांवों की जमीन के दाखिलकृखारिज प्रक्रिया शेष इलाकों की तरह शुरू करने के आदेश आए। इसके बाद जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने मामले की जांच के आदेश दिए तो खंगाली जाने लगीं फाइलें।


अंततरू एसडीएम कार्यालय ने तहसीलदार कार्यालय को दाखिल खारिज प्रक्रिया को रोकने के पुराने आदेश की प्रति मांगी तो पता चला कि वहां इस तरह की कोई पत्रावली है ही नहीं। इसके बाद एसडीएम कार्यालय में भी छानबीन की गई लेकिन चार साल पुराना ऐसा कोई आदेश मिला ही नहीं। जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी गई। जिसमें कहा गया कि चार साल से जो प्रतिबंध रामनगर के 26 गांवों की जमीन की दाखिल खारिज पर लगा है उसे लगाने के आदेश की प्रति रामनगर के एसडीएम और तहसील कार्यालय में नहीं है।
इसके जांच रिपेार्ट पढ़कर जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल भीी हैरत में हैं। इसीलिए उन्होंने अपने अदेश में स्थिति को हास्यास्पद करार दिया है। उन्होंने अपने आदेश में लिखा है कि रामनगर के 26 गांवों में दाखिल खारिज प्रक्रिया को इस तरह रोका जाना भू राजस्व अधिनियम 1901 की धारा 34 के अंतरगत सहायक कलक्टर द्धितीय द्वारा संपादित की जाती है। इसका अर्थ यह है कि यह एक न्ययिक प्रकिया है। जिसे रोक दिया गया।
उन्होंने अपने आदेश में लिखा है कि रामनगर के 26 गांवों में बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के दाखिल खारिज की प्रक्रिया को रोका गया जो कि भू राजस्व अधिनियम 1901 की धारा 34 की न्ययिक प्रकिया को प्रभावित करता है। यह कार्यवाही यहां के भूमिधरों के हितों को भी प्रभावित करती है। जो कि जनहित में उचित नहीं है। उन्होंने उप जिला शासकीय अधिवक्ता रामनगर द्वारा दाखिल खारिज की प्रकिया का संपादन कराया जाना विधि सम्मत नहीं माना है।
इसलिए उन्होंने आदेश दिए है कि रामनगर के उक्त सभी 26 गांवों में दाखिल खारिज की प्रकिया को शुरू किया जाए।
इस प्रकरण के सामने आते ही कांग्रेस प्रदेश की भाजपा सरकार व स्थानीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी दीपक भट्ट ने कहा है कि रामनगर विधान सभा के 26 गांवों में विगत चार वर्षो से दाखिल ख़ारिज पर रोक लगा दी गयी थी। जिसके चलते भूस्वामी को अपने भूमिधरी के अधिकारों से भी वंचित रखा गया। जो अफसरशाही की हनक को दर्शाता है कि प्रदेश में नौकरशाही भाजपा सरकार में कितनी हावी है। जो भूमिधरी के अधिकार उसे प्राप्त हैं, उनका भी हनन कर रही है और जनप्रतिनिधि बेफिक्र होकर सोये हैं। जबकि विगत दिवस जिलाधिकारी नैनीताल के आदेश से स्पष्ट है कि दाखिल ख़ारिज से रोक संबंधी कोई आदेश पारित ही नहीं किया गया था। कांग्रेस पार्टी सरकार की इस विफलता हेतु क्षेत्रीय विधायक को जिम्मेदार मानती है व मांग करती है कि क्षेत्र की जनता को हुई असुविधा हेतु विधायक जनता से माफ़ी मांगे।

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