बिलासपुर: ईद उल जुहा का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया

बिलासपुर। बिलासपुर में ईद उल जुहा का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया। सोमवार को जामा मस्जिद रौड़ा बिलासपुर में सुबह साढ़े आठ बजे मौलवी मुफ्ती असरान के नेतृत्व में नमाज अदा हुई है। इस अवसर पर विभिन्न परिधानों में सज धज कर आए लोगों ने नमाज अदा की और विश्व अमन चैन की दुआ मांगी। नमाज के दौरान मुल्क में आपसी भाई-चारा सदभावना व प्यार मोहब्बत में अधिक मजबूती व अमन शान्ति व खुशहाली तथा सभी की सुरक्षा की अल्लाह से विशेष दुआएं की हैं। इस अवसर पर मौलवी मुफ्ती असरान मुजाहिरी ने बताया कि साढे़ चार हजारसाल पहले सऊदी अरब के मक्का में अल्लाह ने अपने प्रिय ईब्राहिम की परीक्षा लेनी चाही और उसने अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने के हुक्म दिया।

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जिन्हें बखूबी निभाते हुए वह अपने बेटे इस्माईल की कुर्बानी करने को राजी हो गए थे। पवित्र मक्का में मीना नामक स्थल पर प्रथम पैगंबर इब्राहिम द्वारा की जा रही बेटे इस्माईल की कुर्बानी के समय घटित हुए चमत्कार से बेटे के स्थान पर जन्नत से उतरे दुम्बा बकरा की कुर्बानी हुई व ईस्माईल सकुशल किनारे कर दिये गए थे। ईब्राहिम की कुर्बानी के इस जज्बा से अल्लाह खुश हुए थे तथा ईब्राहिम भी लिए जा रहे इम्तिहान में खरा उतरे थे।

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उन्होंने बताया कि अल्लाह के हुकुम की तामील करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग इस पवित्र त्योहार को उत्सव की तरह मनाते हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों में नेक ईरादों से बकरों की कुर्बानियाॅं ईद पर करते हैं। उन्होंने बताया कि इस्लाम के रमजान के बाद आता है और दो महीने दस दिन बाद आता है। इस दिन खुशियों को बांटते हैं, गले मिलकर भीतर की रंजिश को दूर करते हैं। कुर्बानी अल्लाह के हुकुम का तामील है, जिसे मुस्लिम समुदाय करते है। उन्होंने कहा कि किसी को दुख पहुंचाना मकसद नहीं है। यदि कोई ऐसा करता है किसी का दिल दुखाता है तो यह अमल कुर्बानी वाला नहीं है। वहीं नमाज अदा होने के बाद सभी ने एक दूसरे को गले लगाया और ईद की मुबारकबाद दी।

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इस मौके पर जामा मस्जिद कमेटी प्रधान हारूण मोहम्मद, रफी मोहम्मद, मोहम्मद आमीन, जमील खान, मनीश खान, वीर दीन, रोशन दीन, डा. शाहिद, डा. साजिद, हमीद खान, साजिद, जफर खान आदि
मौजूद रहे। वहीं घुमारवीं, बरठीं, शाह तलाई, बरमाणा, नम्होल, चकली, स्वारघाट आदि स्थानों पर ईद उल जुआ का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया।

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