बिलासपुर: राष्ट्रीय नाटक उत्सव का पहला दिन
व्यास रंगमंच समिति बिलासपुर की प्रस्तुति सराहनीय रही
मोहन राकेश के नाटक आषाढ़ का एक दिन का किया मंचन
सुमन डोगरा, बिलासपुर। मोहन राकेश द्वारा रचित आधुनिक हिंदी रंगमंच की कालजई रचना आषाढ़ का एक दिन नाटक स्त्री पुरुष संबंधों पर केंद्रित मोहन राकेश की लेखनी में संस्कृत के महान कवि कालिदास के जीवन को चित्रित करता है। रिश्तो की पीड़ा मोहन राकेश की कहानियां और नाटकों में अवश्य देखी जाती है और उसी के अनुरूप आषाढ़ का एक दिन मैं कालिदास और उसकी प्रेयसी मल्लिका के रिश्तो में पनपा प्रेम एवम् बिछोह को दर्शाता है। नाटक में उस समय की कला और राजनीति के बीच के तनाव को कालिदास और मल्लिका के माध्यम से चित्रित किया गया है क्योंकि नाटक संस्कृत के कवि कालिदास की जीवन पृष्ठभूमि पर लिखा गया है इसलिए संस्कृत निष्ठ भाषा के शब्दों का प्रयोग मोहन राकेश द्वारा किया गया।
बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिषद रोड़ा सेक्टर बिलासपुर में व्यास रंगमंच समिति तथा भाषा संस्कृति विभाग बिलासपुर तथा स्पर्श नाट्य रंग दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाटक उत्सव के पहले दिन व्यास रंगमंच समिति बिलासपुर की प्रस्तुति आषाढ़ का एक दिन का मंचन किया गया। नाटक में सभी पात्र दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रहे।
नाटक में प्रयुक्त संस्कृत निष्ठ हिंदी तथा नाटक के काव्य प्रवाह को आरंभ से लेकर अंत तक बनाए रखने में सफल रहे। नाटक के निर्देशक विनोद शर्मा ने नाटक के अनुरूप पत्रों के चयन में कुशलता दिखाते हुए युवा और नवोदित कलाकारों को मंच प्रदान किया है जो काबिले तारीफ है। पार्श्व संगीत और प्रकाश तथा मंच विन्यास पर किए गए काम और सह निर्देशन पर शिवांगी रघु के परिपक्व प्रयास स्पष्ट तौर पर नजर आ रहे थे जिसमें सहायक के तौर पर आकाश ने अपना भरपूर सहयोग दिया।
पात्र :
ऋषभ कृष्ण – कालिदास
प्रिया – मल्लिका
नितिका – अम्बिका
अनुस्वार, अनुनासिक – प्रिंस और सौर्य
विलोम – सौर्य
निक्षेप व दंतुल – वीर राजपूत
मातुल – निशांत रघु
प्रियंगु मंजरी – अंकिता
रंगनी संगनी – अंकिता व तान्या
निर्देशक विनोद शर्मा
प्रकाश व ध्वनि – आकाश
सह निर्देशक – शिवांगी रघु
फोटो कैप्शन
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अभिनय करते कलाकार