चंडीगढ़… नर्सेज के शोषण में जीएमसीएच का कोई जवाब नहीं, उच्च शिक्षा के लिए डायरेक्टर प्रिंसिपल ने नर्सेज को एनओसी देने के लिए मना किया
चंडीगढ़। जीएमसीएच नर्सेज का शोषण कोई नई बात नहीं है, परिपाटी के अनुसार कितने प्रशासनिक अधिकारी जीएमसीएच में आए और चले गए, लेकिन नर्सेज का शोषण ज्यों का त्यों चला आ रहा है। जीएमसीएच प्रशासन द्वारा 14 साल से भी अधिक समय से लंबित 656 पोस्ट क्रिएट नहीं होने तक, वर्तमान में स्वीकृत 774 पोस्ट्स को इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मानदंडों के अनुसार रिस्ट्रक्चर नहीं करने की सौगंध खा रखी है ।
3 फरवरी 2020 को प्रो. बी.एस. चवन ने मीटिंग में लिखा था कि पेंडिंग 656 पोस्ट का क्रिएशन एडवांस स्टेज में है। उसके आते ही वर्तमान में सैंक्शन 774 पोस्टों को इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मानदंडों के अनुसार रिस्ट्रक्चर कर दिया जाएगा। किंतु फरवरी 2020 से एडवांस स्टेज पूरा होने का नाम नहीं ले रही है और इधर डायरेक्टर प्रिंसिपल भी नर्सेज की समस्याओं को नजर अंदाज करती जा रही हैं।
यहां पर नर्सिंग कर्मियों को पहले से ही एक ही पोस्ट पर काम करते करते 20-25 साल से भी ज्यादा हो चुका है। महिला नर्सेज की चाइल्ड केयर लीव को जीएमसीएस प्रशासन ने खुद की पॉलिसी बनाकर रोक रखा है। जबकि भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सेवा नियम लागू करते समय यह बात मुख्य रूप से ध्यान में रखी कि महिलाओं को चाइल्ड केयर लीव अब 2 साल की वजाय 3 साल दी जाएगी। किंतु भारत सरकार के इस विजन को इंप्लीमेंट करने में जीएमसीएस प्रशासन पूरी तरह नाकाम हो चुका है।
इसी प्रकार अगर कोई नर्सिंग कर्मचारी उच्च शिक्षा के लिए एनओसी को अप्लाई करता है तो उसके लिए भी जीएसएस प्रशासन ने मनमानी करके खुद की पॉलिसी बना रखी है और उनको उच्च शिक्षा के लिए जाने से रोका जा रहा है। इस तरह से जीएमसीएच प्रशासन को नर्सेज के जीवन को बर्बाद करने से कोई गुरेज नहीं है। सब अपना टाइम पास करने में लगे हुए हैं।
एनओसी हेतु कोर्ट जाना अनिवार्य हो गया है। नर्सेज अपनी समस्याओं को बार-बार चंडीगढ प्रशासन एवं मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर पहुंचाती हैं किंतु उनकी तरफ से निर्देश आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जीएमसीएच प्रशासन इतना माहिर हो चुका है कि किसी भी समस्या का समाधान करने की बजाय उसका गोलमोल जवाब दे रहा है। कुछ चापलूस लोग प्रशासनिक अधिकारियों को गुमराह कर कोई भी समस्या का समाधान नहीं होने दे रहे। ऐसे लोग 5-5 साल से भी ज्यादा समय से एक ही कुर्सी पर बैठकर सिर्फ कठपुतलियों का खेल खेल रहे हैं ।
नर्सेज को संबंधित एक वार्ड में काम करते.- करते दो-दो वार्ड या अधिक वार्डों में ड्यूटी करने के लिए बाध्य कर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडित किया जा रहा है। जिसके लिए कोई ऑफिसयली आर्डर भी नहीं दिए जा रहे हैं और असमर्थता पर मना करने पर नर्सेज की एसीआर खराब करने की धमकियां दी जाती हैं। जीएमसीएच में वर्तमान में अधिकांश नर्सेज विभिन्न प्रकार की बीमारियों से जूझ रही हैं किंतु उनको बीमार होने की स्थिति में मेडिकल ग्राउंड पर एक.दो दिन की मेडिकल लीव भी नहीं दी जा रही।